बाप रे! 2008 में हुआ था फर्जीवाड़ा, अब पुलिस की बढ़ी टेंशन

सासाराम: बिहार के रोहतास जिले से रोचक मामला सामने आया है। बिक्रमगंज कोर्ट ने 10 हजार रुपए के फर्जीवाड़ा मामले में 15 साल बाद एससी-एसटी थाने में केस दर्ज करने का निर्देश दिया है। किसी मामले में 15 साल बाद प्राथमिकी दर्ज का मामला पुलिस अधिकारियों से लेकर कर्मियों और कानून के जानकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। अब इस केस के आरोपी और शिकायत करने वाली महिला को खोजने में पुलिस के भी पसीने छूट रहे हैं।

पुलिस के अनुसार 31 दिसंबर 2008 को नटवार थाना क्षेत्र के सरांव निवासी भागमती देवी के साथ फर्जीवाड़ा हुआ था। जब नटवार थाने ने केस दर्ज करने से इनकार कर दिया, तब वह एससीएसटी थाना गई। वहां भी केस नहीं हुआ, तब वह 2 जनवरी 2009 को विक्रमगंज दंडाधिकारी में परिवाद दायर किया। अब जाकर 15 साल बाद कोर्ट ने एससी-एसटी थाने को प्राथमिकि दर्ज करने का आदेश दिया है। केस करने वाली भागमनी देवी नटवार थाना क्षेत्र के सरांव निवासी महंगु राम की पत्नी है, जो अब पंजाब के लुधियाना में रह रही है। जबकि जिस पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, वह डाककर्मी सुभाष चंद्र प्रसाद फिलहाल दिल्ली में रहता है।

दर्ज प्राथमिकी में भागमनी देवी का आरोप है कि 31 दिसंबर 2008 को सुभाष चंद्र फसाद ने उसे रास्ते में रोककर सादे कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा। जब हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया तो उसके साथ मारपीट करते हुए जातिसूचक का शब्द का इस्तेमाल कर जबरन सादा कागज पर अंगूठा लगवा लिया। फिर उसके खाते से 10 हजार रुपये फर्जी तरीके से निकाल लिए गए। घटना के समय वह चिल्लाने लगी, तब डाककर्मी भाग निकला। इस मामले को लेकर जब वह तब नटवर थाना पहुंची तो, वहां से एससी एसटी थाना भेज दिया गया। फिर 1 जनवरी 2009 को वह एससी एसटी थाना आई तो वहां भी प्राथमिकि दर्ज करने से इनकार कर दिया गया।

नटवार और एससी-एसटी थाना द्वारा मामले में प्राथमिकी दर्ज से इनकार करने के बाद भागमनी देवी ने अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी बिक्रमगंज में 2 जनवरी 2009 में परिवाद दायर किया। इसमें कामता प्रसाद, शशि कला देवी, टेंगर चौधरी, हीरा राम आदि को गवाह बनाया गया था। अब 15 वर्ष बाद न्यायालय ने एससी-एसटी थाना को प्राथमिक की दर्ज करने का निर्देश दिया है। न्यायालय के निर्देश पर एससी-एसटी थाने में प्राथमिक की दर्ज की गई है।

मामले में अनुसंधानकर्ता एससी-एसटी थाना के पुलिस अधिकारी नंदलाल प्रसाद प्राथमिकी दर्ज कर जांच के लिए मंगलवार की शाम नटवार थाना के सरांव पहुंचे तो पता चला कि केस करने वाली महिला सालों से लुधियाना में रह रही है और डाक कर्मचारी भी दिल्ली में है। पुलिस दोनों से संपर्क करने का प्रयास कर रही है। पुलिस को दोनों के संपर्क सूत्र पता करने में पसीना छूट रहा है। क्योंकि ग्रामीणों के पास भी दोनों परिजन का कोई संपर्क नंबर नहीं है। 15 साल बाद प्राथमिकी दर्ज होने पर ग्रामीण अलग-अलग चर्चाएं कर रहे हैं।

आश्चर्यचकित होकर पुलिसकर्मी भी इसे लेकर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। यह चर्चा जोरों पर है कि महज एक प्राथमिक दर्ज करने के लिए वादिनी को 15 सालों तक इंतजार करना पड़ा। प्राथमिकी दर्ज करने में लगे 15 साल का समय पुलिस पदाधिकारी से लेकर कानून के जानकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

 


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