उत्तराखंड में महिला आरक्षण की वैधानिकता को चुनौती

नैनीताल: उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण से संबंधित क्षैतिज आरक्षण अधिनियम 2022 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट ने याचिका सुनने के बाद इस मामले में राज्य सरकार से छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई.

मामले के अनुसार, यूपी निवासी काजल तोमर ने उत्तराखंड की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण अधिनियम 2022 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. याचिकाकर्ता के अनुसार वह उत्तराखंड संयुक्त राज्य इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा 2021 में शामिल हो रही है. किन्तु यह विज्ञापन जारी होने के बाद राज्य विधानसभा से उत्तराखंड की मूल निवासी महिलाओं को सरकारी नौकरी में क्षैतिज आरक्षण देने का अधिनियम पारित किया गया है.

कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगी नियुक्तियां
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को
बताया कि राज्य कानून के माध्यम से
उत्तराखंड की महिला उम्मीदवारों को
प्रदान किया जा रहा डोमिसाइल
आधारित आरक्षण भारत के संविधान
के अनुच्छेद-16 का उल्लंघन है. राज्य
विधानमंडल के पास ऐसा कानून बनाने
का कोई विधायी अधिकार नहीं है.
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि
इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा जारी रहेगी,
लेकिन ये नियुक्तियां इस रिट याचिका
के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगी.

 


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