कब तक चलेगा युद्ध

By: divyahimachal

इजरायल-हमास युद्ध को एक महीना बीत चुका है। हमास आतंकी गुट के कई ठिकाने, कमांड सेंटर ‘मलबा’ किए जा चुके हैं। कई कमांडरों को ढेर करने के दावे इजरायली सेना कर रही है। हमास की भूमिगत सुरंगों को भी ‘मिट्टी’ किया जा रहा है। हालांकि इस जमीनी लड़ाई में इजरायल के भी 30 से ज्यादा सैनिक ‘शहीद’ हो चुके हैं। हजारों टन बारूद की बमबारी की जा चुकी है। मिसाइल, रॉकेट दागे जा रहे हैं। इस अवधि में 10,000 से अधिक मासूम लोग मारे जा चुके हैं। उनमें आधे तो बच्चे होंगे! घायलों का आंकड़ा अनिश्चित है, क्योंकि उनके इलाज करने वाले अस्पताल या तो ध्वस्त किए जा चुके हैं अथवा उनमें दवाइयां, इलाज की सामग्रियां उपलब्ध नहीं हैं। सब कुछ तबाह होता जा रहा है, मानो मानवीय जीवन की कोई कीमत ही नहीं है! हमास के आतंकियों ने 7 अक्तूबर को इजरायल पर अचानक बेरहम हमला किया था। आंकड़े बताते हैं कि उसमें करीब 1500 लोगों का कत्लेआम किया गया। आतंकियों ने 200 से अधिक बेकसूर लोगों को बंधक बनाया था, जिनमें या तो हमास के कब्जे में होंगे अथवा मार दिए गए होंगे! कोई निश्चित सूचना नहीं है। आक्रमण न केवल जारी है, बल्कि हमास के समर्थन में लेबनान के हिजबुल्लाह और यमन के हूती आतंकी संगठन भी युद्ध में उतर आए हैं। वे इजरायल पर हवाई हमले भी कर रहे हैं। अब हमास परमाणु बम की बात भी करने लगा है।
आतंकियों के पास परमाणु बम कहां से आए? ईरान पर संदेह होता है, क्योंकि वह युद्ध की शुरुआत से ही फिलिस्तीन की आड़ में हमास का समर्थन करता रहा है। कल्पना करें कि यदि किसी भी इलाके पर परमाणु बम गिराया गया, विस्फोट सफल रहा, तो विध्वंस कितना होगा? हिरोशिमा और नागासाकी को अभी भूलना नहीं चाहिए। आतंकी किसी अंतरराष्ट्रीय नियम-कानून से तो बंधे नहीं हैं। बेशक इजरायल को अपने नागरिकों की रक्षा करने और उन पर किए गए हमले का पलटवार करने का अधिकार है, लेकिन वैश्विक चिंता और सरोकार यह भी है कि आखिर यह युद्ध कब तक चलेगा? क्या युद्ध अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है? इजरायल ने अपना लक्ष्य तय किया है कि वह हमास का अस्तित्व समाप्त करके ही दम लेगा, लेकिन एक माह के युद्ध के बावजूद हमास अब भी जिंदा है और इजरायल के शहरों पर मिसाइल, रॉकेट दाग रहा है। बेशक इजरायल की सेना और हथियार उच्च तकनीक के हैं। उसकी वायु सुरक्षा प्रणाली भी काफी हद तक अभेद्य है, लेकिन यह युद्ध और खासकर गाजा पट्टी मानवीय संकट का ‘कुरुक्षेत्र’ बन गया है और अभी युद्धविराम के कोई आसार नहीं हैं। हालांकि अमरीका, भारत और कुछ यूरोपीय देश, अपने मित्र-देश इजरायल को, समझा रहे हैं कि मानवीय हताहतों की संख्या कम की जाए। इजरायल ठोस खुफिया सूचनाओं के आधार पर ही हमले करे, ताकि हमास को ही सीधे निशाना बनाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र आम सभा में भी युद्धविराम के पक्ष में प्रस्ताव पारित हो चुका है, लेकिन इजरायल इस बार हमास को बिल्कुल मटियामेट कर देना चाहता है। लेकिन हजारों मासूमों की हत्या करके इजरायल को विरोधी देशों की घेराबंदी में सुरक्षित नहीं माना जा सकता, क्योंकि दुनिया यहूदी बनाम मुसलमान में बंट गई है। कोई भी मुस्लिम और अरब देश खुलेआम हमास को ‘आतंकी संगठन’ मानने को तैयार नहीं है। अधिकतर ने 7 अक्तूबर के हमले की बर्बरता की भत्र्सना भी नहीं की है। उनके लिए इजरायल ही ‘खलनायक’ और ‘हत्यारा’ है। युद्ध से अलग घरेलू स्तर पर विश्लेषण करें, तो इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू आज भी राजनीतिक तौर पर अलोकप्रिय और अस्वीकार्य नेता हैं। यह युद्ध अब रुकना चाहिए।