त्योहार से पहले खाने की सामग्रियों पर महंगाई की मार

गुडगाँव: त्योहारी सीजन में खाने की सामाग्रियों पर महंगाई की मार पड़ गई है. आमजन नवरात्र त्योहार की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उससे पहले रसोई का बजट बिगड़ने लगा है. अरहर, मूंग समेत सभी दालों के दाम बढ़े हुए हैं. जीरा करीब आठ सौ रुपये किलो है, जबकि लाल मिर्च, हल्दी और गरम मसाले भी आंसू निकालने लग हैं.

महंगाई में घर चलाना मुश्किल सेक्टर-46 निवासी रिचा तिवारी ने कहा कि इस महंगाई में घर चलाना मुश्किल हो गया है. दालों के दाम पहले से ही चढ़े थे, अब तो मसाले भी महंगे हो गए हैं. रोज कमाने खाने वालों के लिए खर्च चलना मुश्किल है. उनकी थाली से दाल गायब होती जा रही है.
थाली से दूर होती जा रहीं दालें
मूंगफली-120 (पहले)
0 से 5 रुपये किलो
चना दाल-60 75 से 80 रुपये किलो
काला चना-60 70 से 80 रुपये किलो
छोला चना-95 120 से 140 रुपये किलो
राजमा-0 0 से 190 रुपये किलो
उड़द दाल-80 120 से 130 रुपये किलो
मूंगदाल-105 100 से130 रुपये किलो
हल्दी- 120 0 से 0 रुपये किलो
लौंग- 1000 1100 से 1200 रुपये किलो
काली मिर्च- 600 700- 800 रुपये किलो
चीनी- 40 44 से 50 रुपये किलो
बेसन- 60 80-90 रुपये किलो
जीरा-700 800-1000 रुपये प्रति किलो
कालाबाजारी को रोकना जरूरी
सेक्टर-81 के विपुल सोसाइटी निवासी शालिनी सिंह ने कहा कि आटा, सरसों का तेल और रिफाइंड के बाजार भाव में कमी आने से कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन दालों व मसालों के भाव बढ़ने से समस्या हो रही है. महंगाई के चलते रसोई का बजट पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है. सरकार को दालों की काला बाजारी को रोकने का प्रयास करना चाहिए.
महंगाई से फुटकर व्यवसायी को नुकसान
गुरुग्राम व्यापार मंडल के महासचिव प्रदीप मोदी ने बताया कि महंगाई का मुख्य कारण दाल की पैदावार कम होना है. इसके साथ ही देश के प्रमुख स्टॉकिस्ट की रणनीति भी दाम तय करने में अहम भूमिका निभा रही है. वे अपने रेट निकालकर उसके अनुसार खाद्य सामग्रियों की कीमत बढ़ा रहे हैं. इस पर स्थानीय स्तर पर कोई नियंत्रण नहीं हो सकता है.