सजा केवल न�?यायिक स�?वीकारोक�?ति पर आधारित नहीं हो सकती है, मद�?रास �?चसी नियम

मद�?रास उच�?च न�?यायालय की मद�?रै खंडपीठ ने हाल ही में कहा कि �?क व�?यक�?ति को केवल न�?यायिक स�?वीकारोक�?ति के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, खासकर जब यह संदेह हो कि क�?या यह स�?वेच�?छा से दिया गया था। न�?यायमूर�?ति जी जयचंद�?रन और स�?ंदर मोहन की खंडपीठ ने �?म वेलाचामी को बरी करते ह�?�? �?सा कहा, जिन�?हें 2015 में तिर�?नेलवेली की �?क सत�?र अदालत ने 2009 में अपनी दूसरी पत�?नी की हत�?या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा स�?नाई थी।

निचली अदालत के आदेश के खिलाफ वेलाचामी द�?वारा दायर अपील पर स�?नवाई करते ह�?�?, न�?यायाधीशों ने पाया कि �?क न�?यायिक स�?वीकारोक�?ति (जो �?क मजिस�?ट�?रेट के सामने अपने अपराध को स�?वीकार करने वाले अभिय�?क�?त द�?वारा दी गई स�?वीकारोक�?ति है) को ‘सत�?य’ और ‘स�?वैच�?छिक’ दोनों होना चाहि�?।
स�?प�?रीम कोर�?ट ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत इकबालिया बयान दर�?ज करते समय न�?यायिक मजिस�?ट�?रेटों द�?वारा पालन कि�? जाने वाले विभिन�?न सिद�?धांतों को निर�?धारित किया था। �?सा ही �?क सिद�?धांत निर�?धारित करता है कि �?क मजिस�?ट�?रेट को आरोपी से पूछना चाहि�? कि वह कबूलनामा क�?यों करना चाहता है, न�?यायाधीशों ने कहा।
जजों ने कहा और कहा कि यहां तक कि घटना के लगभग �?क साल बाद भी वेलाचामी द�?वारा ग�?राम प�?रशासनिक अधिकारी को न�?यायेतर इकबालिया बयान दिया गया था, जजों ने कहा और कहा कि ट�?रायल कोर�?ट ने सही में उस पर विश�?वास नहीं किया।
यह स�?पष�?ट नहीं है कि वेलाचामी ने न�?यायिक इकबालिया बयान क�?यों दिया, जबकि वह वी�?ओ के सामने पहले ही कबूल कर च�?का था।
जजों ने जोड़ा और वेलाचामी को आरोपों से बरी करते ह�?�? कहा कि मृतक की पहचान भी संदिग�?ध है क�?योंकि शव जली ह�?ई हालत में �?क नदी में मिला था।
क�?रेडिट: newindianexpress.com