तीन अस्पतालों की दौड़ में बच्ची ने तोड़ा दम

लखनऊ: चार दिन की बच्ची को पीजीआई, लोहिया संस्थान में बेड नहीं मिला. केजीएमयू में मिला भी तो बहुत देर हो चुकी थी. भर्ती के आधे घंटे में ही सांसें थम गईं. पिता ने बताया कि केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के बाहर एम्बुलेंस में ही बेटी की हालत बिगड़ गई थी, डॉक्टर ने मृत घोषित करने की सिर्फ औपचारिकता निभाई.
राजाजीपुरम के बख्तामऊ निवासी फाजिल ने बताया कि 10 को पत्नी शमीम बनो को लोकबंधु अस्पताल में नार्मल डिलीवरी से बेटी पैदा हुई थी. कुछ देर बाद बच्ची को सांस की तकलीफ के साथ शरीर नीला पड़ने लगा था. इसके बाद डॉक्टरों ने केजीएमयू रेफर कर दिया. बेटी को एम्बुलेंस से लेकर केजीएमयू लेकर पहुंचे. यहां वेंटीलेटर बेड खाली न होने की जानकारी देकर वापस कर दिया गया. लोहिया में भी भर्ती नहीं किया. पीजीआई में कहा गया कि नियोनेटल यूनिट में 10 बेड हैं. पीजीआई की कर्मचारी नेता सीमा शुक्ला की सिफारिश पर केजीएमयू में शाम चार बजे डॉक्टर भर्ती को तैयार हुए. मगर आधे घंटे की प्रक्रिया में इलाज शुरू नहीं हुआ और मृत घोषित कर दिया.

बेड न मिलने पर कृष्णानगर के एक निजी अस्पताल में बच्ची को भर्ती कराया. दो दिन में 13 हजार ले लिए. मजदूर पिता सुबह आठ बजे एम्बुलेंस से बच्ची को लेकर पीजीआई इमरजेंसी पहुंचे. यहां बेड न होने पर मना कर दिया. पिता मातृ शिशु रेफरल अस्पताल पहुंचा. यहां भी बेड न होने की बात कहकर डॉक्टरों ने भेज दिया. दोपहर 12 बजे बच्ची को लेकर केजीएमयू पहुंचे. यहां भर्ती बच्ची को भर्ती करने के लिए डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन भर्ती नहीं किया.
वेंटीलेटर बेड सीमित हैं. खाली न होने पर ही रेफर किया जाता है. बेड खाली मिला तो बच्ची भर्ती की गई. हालत गंभीर थी तो बचाया न जा सका. डॉ. संदीप तिवारी, सीएमएस, ट्रामा सेंटर केजीएमयू