सूतक काल में गर्भवती महिलाएं ना करें ये गलती, संतान के जीवन पर मंडराता है संकट

सनातन धर्म और ज्योतिषशास्त्र में ग्रहण काल को महत्वपूर्ण बताया गया है। इस समय को शुभ नहीं माना जाता है मान्यता है कि ग्रहण काल भगवान पर संकट का समय होता है। इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को मध्यरात्रि में लगेगा। जो कि पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। इसी दिन मां लक्ष्मी की साधना को समर्पित शरद पूर्णिमा भी मनाई जाएगी।

शरद पूर्णिमा पर देवी की साधना रात्रि में करने का विधान होता है और रात्रि में भी चंद्र ग्रहण का सूतक काल भी लग रहा है। साल का अंतिम चंद्र ग्रहण शनिवार को देखा जा सकता है तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा चंद्र ग्रहण और सूतक काल के समय गर्भवती महिलाओं व अन्य लोगों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
सूतक काल से जुड़े नियम—
ज्योतिष अनुसार ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता है ऐसे में इस दौरान देवी देवताओं की पूजा करना वर्जित होता है इसलिए आप पूजा घर के पर्दे लगा दें और ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें। ग्रहण के सूतक के दौरान पके हुए भोजन को ग्रहण समाप्त होने के बाद भी नहीं खाना चाहिए। ऐसा करने से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा सूतक आरंभ होने से पहले ही दूध, दही, पानी, आदि चीजों पर तुलसी के पत्ते रख दें। ऐसा करने से ग्रहण का अशुभ प्रभाव इन पर नहीं पड़ेगा।
इसके अलावा ग्रहण और सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। वरना इसका नकारात्मक असर शिशु और माता दोनों पर पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को इस दौरान घर से बाहर नहीं जाना चाहिए साथ ही किसी भी तेजधार या नुकीली चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सूतक काल और ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप उत्तम माना गया है। गर्भवती महिलाएं इस दौरान अपने पास एक नारियल जरूर रखें। किसी को भी ग्रहण या सूतक के समय तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। ना तो इस दौरान तुलसी के पौधे को स्पर्श करना चाहिए ऐसा करना अपराध माना जाता है।