पाकिस्तान ने ‘आजादी की लड़ाई’ की आड़ में किया आतंकवाद का बचाव, फिलिस्तीन को कश्मीर से जोड़ने की कोशिश

संयुक्त राष्ट्र: पाकिस्तान ने कश्‍मीर और फिलिस्‍तीन को एक तराजू पर रखते हुये आतंकवाद का बचाव किया और कहा कि जब “विदेशी कब्जे में रहने वाले लोग” इसका सहारा लेते हैं तो यह “वैध” होता है।

भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में टिप्पणियों को “अवमानना” बताते हुये खारिज कर दिया। भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर. रवींद्र ने कहा: “एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा केंद्र शासित प्रदेशों का जिक्र करते हुए आदतन प्रकृति की टिप्पणी की गई थी जो मेरे देश के अभिन्न अंग हैं। मैं इन टिप्‍पणियों को अवमानना की मानूंगा और समय को देखते हुये प्रतिक्रिया देकर उनका महिमा मंडन नहीं करूंगा।”

विषय चाहे जो भी हो, पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दा उठाता है, हालांकि उस पर कोई ध्यान नहीं देता। इस्लामाबाद के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि हालांकि “पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करता है, अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, आत्मनिर्णय और राष्ट्रीय मुक्ति के लिए विदेशी कब्जे में रहने वाले लोगों का संघर्ष वैध है और इसकी बराबरी आतंकवाद से नहीं की जा सकती।”

उन्होंने अमेरिका और उन दूसरे देशों पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष किया, जिन्होंने ”आतंकवाद” के खिलाफ एक मजबूत सार्वभौमिक रुख अपनाया है, और भारत पर पाकिस्‍तानी आतंकवादियों के हमले या इजरायल पर चौतरफा आतंकवादी हमलों की स्थिति में उनका साथ दिया है। अहमद ने कहा, “इस परिषद में कुछ लोगों ने अपने सहयोगियों को सुरक्षा की पेशकश की है जो फिलिस्तीन और कश्मीर में कब्जे वाले लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं।”

इससे पहले, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 26/11 के मुंबई हमले का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का नाम लिया था, जबकि परिषद और महासभा ने “बार-बार पुष्टि की है कि आतंकवाद के सभी कार्य गैरकानूनी हैं और अनुचित हैं”।

अकरम ने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हर देश को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमलों के खिलाफ आत्मरक्षा का अधिकार है”, लेकिन “एक देश जिसने किसी विदेशी क्षेत्र पर जबरन कब्जा कर रखा है, वह उन लोगों के खिलाफ आत्मरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता है जिनके क्षेत्र पर उसने अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया है”। अकरम ने हमास के कब्जे वाले गाजा पर इजरायल के हवाई हमलों की कड़ी निंदा की, हालांकि उन्‍होंने इजरायलियों पर आतंकवादी हमलों के लिए हमास की निंदा नहीं की, जिनमें इजरायली सीमा में 1,400 लोग – अधिकांश आम नागरिक – मारे गए थे। हमास ने 200 से अधिक लोगों को बंधक भी बना लिया था।

अकरम ने अमेरिका का नाम लिए बिना इज़राइल-हमास संघर्ष में युद्धविराम या मानवीय विराम की मांग करने वाले परिषद के प्रस्तावों को वीटो करने के लिए उसकी आलोचना की। उन्होंने कहा, “हमें खेद है कि सुरक्षा परिषद युद्धविराम का आह्वान जारी करने में असमर्थ रही है।”

 


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