दिवाली पर कविता

धमतरी। जनता से रिश्ता के पाठक अशोक पटेल “आशु” ने दिवाली पर कविता ई-मेल किया है.

हे माँ श्री लक्ष्मी, आपको मेरा वन्दन है
आओ हे लक्ष्मी आपका,अभिनन्दन है।
मैं अकिंचन हूँ, तुझ मे ये मन अर्पण है,
मैं दीन हूँ तुझमें,तन-मन ये समर्पण है।
तू दया की सागर,तू ही तो ऐश्वर्यवान है
तेरी कृपा जिसको मिले वो भागवान है।
आओ श्री लक्ष्मी,तेरा आज आह्वान है
स्वीकार करो वंदना, मन का ये गान है।
आओ शुभ चरण,धरो पदम्-आसन है
तुझको अर्पित है,मेरा राजीव ये मन है।
इस पावन-बेला पर, करूँ यशोगान है
तेरी ममता तेरी, करुणा जग-महान है।
आस पूरी करदो,चाहता यह जहान है
तू दयामयी, वात्सल्यमयी की खान है।
नही रहे कोई निराश,दो ऐसा वरदान है
सुख-समृद्धि भर दो,न रहे अभिमान है।