विज की गाड़ी में आज भी रखी है दरी, गृहमंत्री भाजपा के लिए हर कदम पर साबित हुए लाभकारी

चंडीगढ़। हरियाणा में आजकल अटकलों और चर्चाओं के बाजार पूरी तरह से गर्म नजर आ रहे हैं। यह चर्चाएं और अटकलें पैदा करने वालों ने फिलहाल हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्रालय अनिल विज से लेकर डॉ कमल गुप्ता को देने का प्रचार खूब जोर-शोर से कर रखा है। इसके साथ शहरी निकाय विभाग जो इस वक्त डॉक्टर कमल गुप्ता के पास है वह विज को दिया जाना इसी कड़ी का हिस्सा है। गौरतलब है कि 5 अक्टूबर से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज स्वास्थ्य मंत्रालय की कोई भी फाइल नहीं निकाल रहे हैं। जैसा कि सर्वविदित है कि किसी भी प्रदेश में मंत्रालयों के फेरबदल का अधिकार केवल मुख्यमंत्री के पास होता है। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज अंबाला छावनी से छठी बार विधायक बने हैं और हरियाणा के सबसे सीनियर मोस्ट विधायकों में अनिल विज का नाम आता है। मनोहर सरकार पार्ट वन में भी विज कैबिनेट मंत्री थे और अब मनोहर पार्ट 2 में दूसरी बार फिर से कैबिनेट मंत्री बनाए गए। चली चर्चाओं के अनुसार प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के संघर्ष का एक लंबा अतीत रहा है।

अन्य दलों की प्रदेश में सरकार के दौरान जब भाजपा के प्रदेश में मात्र दो – चार ही विधायक हुआ करते थे, उस वक्त जनता के हितों की हमेशा लड़ाई अनिल विज को लड़ते देखा गया। उस दौरान अनिल विज की कार में सदा एक दरी रहा करती थी, जिसे आवश्यकता पढ़ने पर अनिल विज कहीं भी बिछाकर धरने- विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया करते थे। उनकी लोकप्रियता के कारण यह धरने प्रदर्शन एक विकराल रूप लेते देखे गए थे। चर्चा है कि आज भी यह दरी प्रदेश के कैबिनेट मंत्री की निजी कार में रखी होती है। आईएएस अशोक खेमका के पक्ष में एक बार अनिल विज ने हरियाणा राज्यपाल निवास के बाहर भी दरी बिछा दी थी। हालांकि प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज फिलहाल ऐसे किसी भी मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं।
कांग्रेस शासनकाल के दौरान अनिल विज ने लंबी लड़ाई तत्कालीन सरकार के खिलाफ लड़ी है। सी एल यू, भ्रष्टाचार और नौकरियों में हुए घपलों के मामले विधानसभा सत्र के दौरान अनिल विज ने खूब जोर शोर से उठाए। हालांकि तत्कालीन विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा भले ही उन्हें रोकने के खूब प्रयास में लगे रहते थे, बावजूद इसके अनिल विज की आवाज तत्कालीन सरकार पर काफी प्रभावित देखी जाती रही है। मुद्दों पर मजबूती से कमांड रखने का विज का अपना वर्किंग स्टाइल है। बेहद कुशल राजनीतिज्ञ और लंबे अनुभव के कारण भारतीय जनता पार्टी को समय-समय पर अनिल विज का लाभ मिलता रहा है। हजका (भजनलाल)- भाजपा गठबंधन तुड़वाने में भी विज की अहम भूमिका रही थी। मौजूदा गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने उस दौरान भाजपा के अति वरिष्ठ नेताओं में डंके की चोट पर कहा था कि भाजपा को अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए।
हालांकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय में फिलहाल कलम ना चलाए जाने से सूत्रों के अनुसार आशावर्करों से संबंधित समेत कई महत्वपूर्ण फाइले अटकी हुई हैं। 2 से 4 नवंबर तक आबु-धाबी में छोटे बच्चों के हार्ट में उत्पन्न परेशानियों पर होने वाले सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में भी न जाने के विज की तरफ से संकेत आए हैं। 9 से 10 नवंबर को पंचकूला में होने वाले आयुष विभाग के क्षेत्रीय स्तर के कार्यक्रम में भी विज के किनारा करने की संभावना है। जिस बारे स्वम् केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसे लेकर अनिल विज से बात की है। लेकिन सूत्रों के अनुसार फिलहाल विज अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुए हैं। अनिल विज द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रति किनारा किए जाने के कारण ऐसी संभावनाएं भी बन रही हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल जल्द इस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल में मित्रता के गहरे संबंध भी हैं।
बता दें कि पहले भी मनोहर पार्ट वन में कैबिनेट मंत्री रहने दौरान अपने विभागों में विज ने बेहद गंभीरता से कार्य किया है। स्वास्थ्य विभाग में हुए चमत्कारी सुधार में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का महत्वपूर्ण योगदान और उनका बेहतर नेतृत्व रहा है। कोरोनाकाल के दौरान खुद संक्रमित होने के बावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर लगातार स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने हरियाणा सचिवालय अपने कार्यालय में आना-जाना जारी रखा और प्रदेश के लिए उनकी यह कड़ी मेहनत बेहद लाभकारी साबित हुई थी। अनिल विज चाहे पीजीआई या दिल्ली के अस्पताल में दाखिल रहे लेकिन सरकारी फाइलें लंबित न हो-आम जनमानस पर इसका प्रभाव न पड़े इसके लिए वह लगातार अपने निजी स्टाफ से फाइलें मंगवा कर निकलते रहे।
अनिल विज के पास स्वास्थ्य मंत्रालय आने से पहले सरकारी अस्पतालों में कोई गरीब व्यक्ति भी अपने परिजनों का इलाज करवाना असुरक्षित मानता था। जहां छोटी-मोटी दवाइयां तो दूर पट्टी करने तक के समान नहीं मिलते थे। वहां आज महंगी से महंगी दवाइयां उपलब्ध हैं। एमआरआई ,सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड समेत तमाम महंगे से महंगे टेस्ट का प्रबंध हो पाया है। यह प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की जन समर्पित भावना के कारण संभव हुआ है। इसके साथ-साथ लगातार अचानक ओचक निरीक्षण जहां विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के लिए एक कड़ी चेतावनी रही, वहीं आम जनमानस का सरकार के प्रति विश्वास में बढ़ोतरी करने वाले साबित हुए है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने डीजी ऑफिस तक में अचानक पहुंचकर बड़े से बड़े अधिकारियों को अचंभित करने का काम किया था। इनके कड़े निर्णय और कुशल मार्गदर्शन से स्वास्थ्य विभाग आज आम और खास के लिए विश्वास के पात्र बन पाया है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज आने वाले समय में ओर भी कई सुधारात्मक बदलाव करने के प्रयास में रहे हैं। लेकिन कुछ अधिकारियों द्वारा फाइलों में रोडा अटकाने का दर्द वह एक सार्वजनिक मंच से बया कर चुके हैं। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज शुरू से ही अच्छा स्वास्थ्य- अच्छी शिक्षा और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदेश वासियों को देने के पक्ष में खड़े रहे हैं।