MP-MLA के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर SC ने सुनाया बड़ा फैसला, VIDEO

नई दिल्ली: सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के निपटारे में तेजी लाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश भर के उच्च न्यायालयों को आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वे खुद ऐसे मामले दर्ज करें और उनकी मॉनिटरिंग करें। खासतौर पर उन मामलों को प्राथमिकता दें, जिनमें उम्रकैद या फिर फांसी तक की सजा का प्रावधान हो। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट इसके लिए स्पेशल बेंच भी बना सकते हैं। हत्या के मामलों में दोषी ठहराए जाने पर उम्रकैद से लेकर हत्या तक की सजा का प्रावधान है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों में टाइमलाइन को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए जा सकते।

लेकिन उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस अपने अधिकार क्षेत्र में चल रहे ऐसे केसों की पूरी निगरानी करें और उनके ट्रायल समय पर खत्म हों, ऐसा सुनिश्चित करें। बेंच ने कहा कि यदि जरूरी हो तो स्पेशल बेंच समय-समय पर केस को लिस्ट कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों की सुनवाई करने वाली स्पेशल बेंच का नेतृत्व खुद हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस को करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि किसी मामले में मौत या फिर उम्रकैद की सजा हो सकती हो तो उन्हें प्राथमिकता सुना जाना चाहिए।
VIDEO | “Today, the Supreme Court has given a historic verdict. The Supreme Court judgment has come with regard to our first prayer. The court has directed all the high courts to constitute a special bench to monitor cases of MPs, MLAs and ensure that these cases are decided… pic.twitter.com/WgcLerxIoR
— Press Trust of India (@PTI_News) November 9, 2023
चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट्स को उन मामलों की लिस्ट बनानी चाहिए, जिनका ट्रायल रुक गया है। ऐसे सभी मामलों में तेजी लानी चाहिए ताकि समय पर उनका निपटारा हो सके। अदालत ने एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की अर्जी पर यह आदेश दिया, जिसमें मांग की गई थी कि अदालत मौजूदा एवं पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मामलों में तेजी लाए। अदालत में सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि देश भर में मौजूदा एवं पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ 5,175 केस लंबित हैं।
इनमें से 2,116 यानी करीब 40 फीसदी केस ऐसे हैं, जो 5 साल से ज्यादा वक्त से लंबित हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1377 केस तो उत्तर प्रदेश के ही हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां 546 केस लंबित हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में 482 केस अभी लंबित हैं। इससे पहले 2014 में एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ आरोप तय होने के एक साल के अंदर मामलों का निपटारा हो जाना चाहिए।