प्रदेश के लाखों स्टूडेंट्स को रोजगार नहीं दिला पा रहा वीएमओयू, कागजों में चल रही प्लेसमेंट सेल

कोटा: विश्वविद्यालय की स्थापना विद्यार्थियों के सर्वार्गिंण विकास के उददेशय से की जाती है। स्कूल के बाद उच्च शिक्षण संस्थान ही वह स्थान है, जहां कॅरियर की दिशा तय होती है। यहां कदम रखने वाले छात्रों को क्वालिटी एजुकेशन देने के साथ रोजगार के लिए तैयार करना भी विश्वविद्यालय का किरदार है। इसीलिए, विश्वविद्यालयों में यूथ डवलपमेंट व प्लेसमेंट सेल गठित की जाती है। लेकिन, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय यूजीसी के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहा है। यहां प्लेसमेंट सेल तो बनी है लेकिन आज तक कैम्पस में कभी जॉब मेला नहीं लगाया गया और न ही रोजगार से जोड़ने के प्रयास किए गए। जबकि, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी अपने छात्रों के लिए प्लेसमेंट कैम्प लगाती है। 2016 में 100 विद्यार्थियों को रोजगार भी दिलाया था। इतना ही नहीं, गत वर्ष प्लेसमेंट ड्राइव का आयोजन भी करवाया चुकी है। दूरस्त शिक्षा के क्षेत्र में जब इग्नू प्रतिष्ठित कम्पनियों को विद्यार्थियों के बीच ला सकती है तो फिर वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय क्यों नहीं कर सकता।

सवाल: इग्नू दे रहा रोजगार तो वीएमओयू क्यों नहीं

यूजीसी की गाइड लाइन में स्पष्ट है कि यूनिवर्सिटी चाहे नियमित हो या ओपन, प्लेसमेंट व यूथ डवलपमेंट सेल गठित करना जरूरी है, ताकि छात्रों को शिक्षा के साथ रोजगार से जोड़ा जा सके। वीएमओयू में सेल तो बनी है लेकिन कागजों में चल रही है। जबकि, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी अपने कैम्पस में रोजगार मेला लगाती है। मई 2016 में यूनिवर्सिटी ने अपने दिल्ली स्थित मैदान गढ़ी कैम्पस में प्लेसमेंट कैम्प का आयोजन किया था। जिससे में 100 विद्यार्थियों को मल्टीनेशनल कम्पनियों में रोजगार मिला था। इतना ही नहीं, कैंपस प्लेसमेंट में दिल्ली के अलावा करनाल, अलीगढ़, चंडीगढ़, देहरादून और जयपुर के 500 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया था। जब इग्नू कम्पनियों से समन्वय स्थापित कर प्लेसमेंट कैम्प आयोजित करवा सकती है तो वीएमओयू क्यों नहीं करवा सकता। हालांकि, इस सवाल का जवाब वीएमओयू के कोई भी अधिकारी जवाब नहीं दे सके।

इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप हो कोर्सेज का संचालन

एक तरफ जहां युवा आगे बढ़ने के सपने देख रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अकेडमिक में दी जा रही शिक्षा और इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के बीच भारी अंतर के कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सही दिशा में उठाया गया एक कदम युवाओं के जीवन में कई परिवर्तन ला सकता है । इसी को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय को डंडस्ट्री की मांग के अनुरूप एकेडिमक मॉडल बनाकर कोर्सेज का संचालन करना चाहिए। यह प्रयास इंडस्ट्री की आवश्यकताओं व अकेडमिक शिक्षा के बीच अंतर कम कर सकता है। यूजीसी का प्रावधान है कि विश्वविद्यालय अपने क्षेत्रों में संचालित इंडस्ट्रीज से समनव्य स्थापित कर विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़े लेकिन वीएमओयू ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए।

रिसर्च आधारित एनवायरमेंट हो विकसित

इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप छात्रों को तैयार करने के लिए पढ़ाई के समय ही उन्हें इंडस्ट्री की आवश्यकताओं से अवगत कराना बेहद आवश्यक है। जिसके लिए विश्वविद्यालय को अपने क्षेत्रों में संचालित विभिन्न कम्पनियों से समन्व्य स्थापित करने चाहिए। साथ ही क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस कर बच्चों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। स्थानीय, राष्ट्रीय व वैश्विक मुद्दों के लिए यूनिवर्सिटी को रिसर्च आधारित एनवायरमेंट निर्मित करना चाहिए।

वीसी की बातों में गतिरोध

वीएमओयू के कुलपति का कहना है कि विश्वविद्यालय दुरस्थ शिक्षा मोड पर संचालित है। यहां प्लेसमेंट सेल रेगुलर यूनिवर्सिटी के मुकाबल ज्यादा इफेक्टिव नहीं हो सकती। क्योंकि, यहां दूर दराज के विद्यार्थियों को एक जगह एकत्रित करना मुश्किल है। जबकि, हाल ही में वीएमओयू में रुक्टा राष्टÑीय का सेमिनार आयोजित करवाया गया था। जिसमें प्रदेशभर से प्रोफेसरों को बुलाया गया था। जब यह सेमिनार हो सकता है तो फिर प्लेसमेंट शिविर क्यों नहीं हो सकता। विवि चाहे तो प्रदेश के सभी जिलों में स्थित रिजनल सेंटर पर ही रोजगार मेला लगा सकता है। इग्नू की तरह आॅनलाइन विद्यार्थियों को मेले की सूचना दी जा सकती है।

सवाल इग्नू करवा रहा प्लेसमेंट कैम्प तो वीएमओयू में क्यों नहीं

यूथ डवलपमेंट सेल का नहीं अता-पता

शिक्षाविद्धों का कहना है कि यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार विश्वविद्यालय व कॉलेजों में प्लेसमेंट सेल के अलावा यूथ डवलपमेंट सेल भी होनी चाहिए। लेकिन, वीएमओयू में इस सेल का कोई अता पता नहीं है। यूथ डवलपमेंट सेल का काम विद्यार्थियों का कौशल विकास करना है। नौकरी के लिए रिज्यूम तैयार करना, साक्षात्कार देने का तरीका, ड्रैस कोर्ड की समझ विकसित करना, सवालों का जवाब देने की कला सहित जॉब इंटरव्यू के लिए तैयार करना होता है। पर्सनलटी डवलपमेंट प्रोग्राम चलाने होते हैं। इसके लिए दक्ष प्रशिक्षक को आमंत्रित कर सेमिनार, वेबीनार व शिविर के आयोजन किए जाते हैं। लेकिन, विवि द्वारा इस दिशा में कोई काम नहीं करवाया जाता।

वीएओयू में संचालित हो रहे 67 कोर्स

36 साल से नहीं लगा प्लेसमेंट कैम्प

वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय की स्थापना 23 जुलाई 1987 में हुई थी। तब से लेकर अब तक एक बार भी प्लेसमेंट कैम्प का आयोजन नहीं करवाया गया। जबकि, इस दरमियान लाखों बच्चे पास आउट हो चुके हैं। हालात यह है, यहां से प्रोफेशनल कोर्स की डिग्रियां लेकर भी युवा बेरोजगार है। वे नौकरी के लिए भटक रहे हैं। उनकी न तो कॅरियर काउंसलिंग करवाई जाती है और न ही प्लेसमेंट का आयोजन करवाया जाता है। विश्वविद्यालय की स्थापना से अब तक कई वीसी बदल गए लेकिन किसी ने भी व्यवस्थाओं में सुधार की जहमत नहीं उठाई।

इनका कहना है

यूजीसी गाइड लाइन के मुताबिक कॉलेज हो या विश्वविद्यालय, प्लेसमेंट सेल सभी जगह गठित की जाती है। जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को रोजगार के लिए तैयार करना है। विश्वविद्यालय प्रशासन को स्थानीय कम्पनियों से समन्वय स्थापित कर उन्हें कैम्पस में स्टूडेंट्स के बीच आमंत्रित करना चाहिए। ताकि, कम्पनियों की एम्लोई से क्या अपेक्षाएं रहती हैं, इससे रुबरू हो सके। साथ ही कैम्पस में पर्सनलटी डवलपमेंट के प्रोग्राम आयोजित किए जाने चाहिए। जिससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास मजबूत होगा तो वह स्वयं के स्तर पर रोजगार के लिए एप्रोच कर सकेगा।

– डॉ. रघुराज सिंह परिहार, सहायक निदेशक कॉलेज आयुक्तालय

विश्वविद्यालय प्रशासन को विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ प्रैक्टिकल ट्रैनिंग भी दी जानी चाहिए। इंडस्ट्रीज की मांग के अनुरूप अपने व्यवसायी शिक्षा में बदलाव किए जाना चाहिए। कम्यूनिकेशन स्कील, पर्सनलटी डवलपमेंट पर विशेष किया जाए और विभिन्न कम्पनियों से समन्वय स्थापित कर कैम्पस में प्लेसमेंट कैम्प लगाए जाएं। साथ ही इंडस्ट्री लेक्चर के लिए सेमिनार, वेबीनार का आयोजन कर बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। यदि, स्टाफ की कमी है तो विद्या संबल योजना के तहत गेस्ट फैकल्टी नियुक्त कर स्टूडेंट्स के कौशल विकास पर फोकस किया जाना चाहिए।

– डॉ. अनुज विलियम, सहायक आचार्य, विद्या सम्बल, गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज

किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान में बच्चों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्लेसमेंट सेल होना अनिवार्य है। यूजीसी की स्पष्ट गाइड लाइन है कि कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में प्लेसमेंट सेल होना और उसे सक्रिय रखना अनिवार्य है। वहीं, नेक की मान्यता के लिए भी संस्थान में प्लेसमेंट सेल के अलग से नम्बर काउंट होते हैं। वहीं, कितने बच्चों को प्लेसमेंट के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराए, इसका भी रिकॉर्ड रखा जाता है।

– डॉ. संजय भार्गव, प्राचार्य जेडीबी साइंस कॉलेज

हर कॉलेज व यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट सेल अनिवार्य है। छात्रों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने में इस सेल की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। जॉब इंटरव्यू, बात करने का तरीका, रिज्यूम तैयार करना, बॉडी लेंग्वेज, ड्रेस कोर्ड व इंटरव्यू के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाता है। जिससे स्टूडेंट्स में आत्मविश्वास का लेवल बढ़ता है।

-डॉ. सुमन शर्मा, प्लेसमेंट सेल संयोजक, गवर्नमेंट कॉलेज कोटा

विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्थाएं सुधारने पर फोकस किया जा रहा है। प्लेसमेंट कैम्प यहां इतने इफेक्टीव नहीं हो सकते जितने रेगुलर यूनिवर्सिटी में होते हैं। आॅनलाइन मोड पर विद्यार्थियों को वैकेंसी की सूचना दी जाएगी। यह व्यवस्था प्रत्येक रिजनल सेंटर से की जाएगी। विद्यार्थियों का भविष्य बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। व्यवस्थाओं में और भी बदलाव होंगे। साथ ही विद्यार्थियों को कौशल विकास की ट्रैनिंग दी जाएगी।

-डॉ. कैलाश सोडानी, कुलपति वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा

इग्नू हर साल अपने स्टूडेंट्स को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रत्येक रिजनल सेंटर पर प्लेसमेंट कैम्प आयोजित करवाती है। देशभर में इग्नू के करीब 65 रिजल्न सेंटर हैं और 200 से ज्यादा कोर्सेज चला रहे हैं। स्टडी सेंटर के माध्यम से रिजनल सेंटर विद्यार्थियों से सम्पर्क में रहते हैं। जैसे ही कोई नौकरी, अपेंडशिप या ट्रैनिंग का अवसर मिलता है तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म, कॉन्टेक्ट ग्रुप, आॅनलाइन ग्रुप व प्लेसमेंट ड्राइव के माध्यम से विद्यार्थियोंको सूचना दे दी जाती है। यदि इच्छाशक्ति हो तो दुरस्त शिक्षा में भी प्लेसमेंट कैम्प सफलतापूर्वक संचालित किया जा सकता है।

– राजकुमार गर्ग, को-आॅर्डिनेटर स्टडी सेंटर इग्नू कोटा


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