सीआईडी ने घटनास्थल पर कराया सीन री-क्रिएट

मुजफ्फरपुर: प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही हत्याकांड की सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है. सीआईडी के डीआईजी दलजीत सिंह नेतृत्व में सीआईडी और एफएसएल की टीम ने घटनास्थल पर ढाई घंटे तक छानबीन की. आशुतोष के चालक अशोक महतो से पूछताछ के आधार पर घटनास्थल पर सीन री-क्रिएट किया गया, जिसका पटना से आई एफएसएल की टीम ने कैमरे से थ्री डायमेंशन इमेज कैद किया. सीन री-क्रिएट कराने के लिए आशुतोष शाही की जगह पर पुतला रखकर देखा गया कि गोली लगने के बाद क्या स्थिति बनी होगी. पुलिस क्यूआरटी के चार जवानों को हेलमेट पहनाकर शूटर बनाया गया. आशुतोष के तीन बॉडीगार्ड राहुल, मो. निजामुद्दीन और ओमनाथ की जगह पुलिस के तीन जवानों को बॉडीगार्ड बनाया गया.

चारो शूटर हेलमेट लगाकर बाइक से वकील सैयद कासिम हसन उर्फ डॉलर के गेट पर पहुंचे. बाइक से उतरने के बाद कौन शूटर कहां कैसे खड़ा हुआ. दो अंदर उस कमरे में गए, जहां आशुतोष शाही, वकील, उसका जूनियर और शेरू बैठे थे. अंदर गोली पहुंचने के बाद गार्ड ने पिस्टल तानी और किस स्थिति में गोली लगी. गोली लगने के बाद आशुतोष सोफा और पलंग के बीच कैसे गिरे, इसका पुतले के जरिए सीन बनाया गया. इस तरह ढाई घंटे तक एक-एक एंगल को देखा गया. पूरी छानबीन के दौरान सीआईडी के डीआईजी दलजीत सिंह, सीआईडी एसपी मनीष कुमार, संजय कुमार, एसएसपी राकेश कुमार, सिटी एसपी अरविंद प्रताप सिंह, नगर डीएसपी राघव दयाल, एसटीएफ डीएसपी नरेश कुमार, कांड के पुलिस आईओ श्रीराम सिंह, सीआईडी के आईओ थे.

अशोक झा समेत कई पुलिस अधिकारी मौजूद रहे.

लापरवाही -1

गार्ड राहुल कुमार और मो. निजामुद्दीन के शरीर से निकले पिलेट भी जब्त नहीं किए जा सके. पटना के निजी अस्पताल में गार्ड ओमनाथ के शरीर से भी ऑपरेशन कर पिलेट निकाले गए थे. इस तरह तीनों गार्ड के शरीर से मिले करीब छह पिलेट की जब्ती शेष है. आशुतोष के परिजनों ने सवाल उठाया है कि 11 दिनों तक गार्ड ओमनाथ पटना के निजी अस्पताल में भर्ती रहा. दीपांदिता ने सवाल उठाया है कि घायल गार्ड का मजिस्ट्रेट के समक्ष अस्पताल में बयान जरूरी था लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया.

हत्याकांड में गैंगस्टर मंटू शर्मा, शूटर गोविंद नामजद हैं. आशुतोष के परिजनों का कहना है कि दोनों के खिलाफ कोर्ट में ट्रायल के दौरान गवाही के लिए कोई नहीं आता है. ऐसे में चश्मदीद स्कॉर्पियो चालक अशोक महतो मुख्य गवाह है. कोर्ट में उसका 164 का बयान दर्ज नहीं कराया गया है. हत्या की साजिश में राजनीतिक पहुंच वाले व्यक्तियों की संलिप्तता बताई जा रही है. आशुतोष शाही को कॉल कर साजिश के तहत बुलवाने का आरोप वकील पर लगा है. अब तक पुलिस ने वकील का मोबाइल जब्त नहीं किया है. घटनास्थल पर मौजूद जूनियर वकील व डॉलर के एक पारिवारिक सदस्य से इंट्रोगेशन नहीं होने पर भी परिजन सवाल उठा रहे हैं.


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