न खुदा मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के हुए न उधर के हुए

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता की मति मारी गई थी या किसी के बहकावे में आ गए थे वो ही जाने। भाजपा के बदौलत वे हर बड़ पदों को सुशोभित कर चुके होने के बाद भी वे उपेक्षित महसूस कर रहे थे ऐसा उनका मानना था भाजपा से इस्तीफा देकर झटपट कांग्रेस ज्वाइन भी कर लिए। कांग्रेस ने आनन-फानन में उन्हें सीएसआईडीसी का चेयरमेन बनाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा देकर उनका मान रखा भी, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला उनके अंतरात्मा से पूछे कि सम्मान यहाँ नहीं मिला कि वहां।वहीं चिंतामणि महाराज सामरी का समर छोड़कर भाजपा की छतरी के नीचे अंबिकापुर में पहलवानी करने का मन बना रहे है।अब देखना है कि बाबा की कितनी चिंता करते है। किसी शायर ने ठीक ही कहा है न खुदा मिला न विसाल-ए -सनम न इधर के हुए न उधर के हुए।  मौत पर राजनीति हावी, आरोप -प्रत्यारोप  टिकटों की घोषणा होने के बाद सभी प्रत्याशी और नेतागण प्रचार में लग गए हैं, साथ ही रूठने मनाने का दौर भी चलने लगा है। इसी बीच हाईप्रोफाइल सीट राजनांदगांव क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी डा, रमन के चुनावी सभा से भाग लेकर लौटे एक भाजपा कार्यकर्त्ता की मानपुर मोहला क्षेत्र में हत्या कर दी जाती है। स्वाभाविक है की इस हत्या को भाजपा भुनाने की कोशिश जरूर करेगी। भाजपा नेताओं ने इसे टारगेट किलिंग बताते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं को डराने वाली कोशिश बताया और सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि इस सरकार से लहू के एक-एक कतरे का पूरा हिसाब किया जाएगा। इसके पहले भी भाजपा शासन में मानपुर मोहला के क्षेत्र मदनवाड़ा में एसपी विनोद चौबे जी को नक्सलियों ने शहीद कर दिया था।

वैसे भी यह एरिया नक्सल प्रभावित एरिया माना जाता है। अब देखना है कि भाजपा इसे कैसे भुना पायेगी और विपक्ष द्वारा लगाए दाग को कांग्रेस कैसे धो पायेगी समय बतायेगा। दूसरी ओर कांग्रेस भी मांग कर रही है कि इस हत्या में भाजपा की क्या संलिप्तता है। उसका भी खुलासा होना चाहिए। बड़े नेता भी फंसते नजर आ रहे अगर प्रत्याशी दमदार हो तो चुनाव के पहले पूरे सूबे में घूमने वाले बड़े बड़ों को अपने क्षेत्र में महदूद होना पड़ता है। लोरमी से अरुण साव को लें या रायपुर दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल को दोनों अपने एरिया में घिरते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी महंत जिसके दरवाजे चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं लोग उनके चरण धोकर नारियल भी दे रहे हैं। अब देखना ये है की ऐसा उनके सम्मान में ही है या फिर ये सम्मान वोटो में भी तब्दील हो रहे हैं। स्थिति जो भी हो कद्दावर नेता बृजमोहन को दक्षिण में ही रहने मजबूर कर दिया है हालांकि बृजमोहन भी राजनीती के चाणक्य माने जाते हैं और कई चुनाव जीत कर लोगों को चुनाव जितवा भी चुके हैं। इसी तरह लोरमी में भी अरुण साव के मुकाबले कांग्रेस ने थानेश्वर साहू को उतारा जो खुद साहू समाज में अच्छी पैठ रखते हैं और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी हैं। उनके चुनाव मैदान में उतरने से जरूर अरुण साव को लोरमी से बाहर निकलने में सोचना होगा। वैसे भी अरुण साव की कोई खास उपलब्धि नहीं है बिरनपुर झगडे में मृतक के पिता को साजा से भाजपा की टिकट दिलाने के अलावा। चक्रव्यूह में सिर्फ भाजपा नेता ही नहीं कांग्रेस के नेता भी फंसे हुए हैं। पहले चरण के चुनाव परिणाम क्या होगा विधानसभा चुनाव में के पहले चरण में कांग्रेस के तीन मंत्रियो और प्रदेश अध्यक्ष की भी परीक्षा है। कद्दावर कांग्रेस नेता मो अकबर,कवासी लखमा, मोहन मरकाम और दीपक बैज के भाग्य का फैसला पहले चरण में होगा। भाजपा के इन 20 में से केवल एक सीट राजनांदगाव ही है जो पहले जैसा आसान नहीं दिख रहा है, मेहनत करनी पड़ेगी।

टिकट वितरण के बाद उपजे असंतोष के बाद दोनों दल फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। भाजपा के नक््शे कदम पर कांग्रेस टिकट वितरण में इस बार कांग्रेस भी भाजपा की शैली अपनाया है दो सूची जारी की गई है जिसमे लगभग 17 नए लोगो को टिकट दी गई है। दूसरी सूची में भी कईयों की टिकट कट गई यानि कुल 24 विधायकों की टिकट कट गई जिसका समाचार हमने जनता से रिश्ता में सितम्बर माह के अंक में भी प्रकाशित भी किया था जो लगभग सही साबित हो रही है। वहीँ भाजपा ने केवल एक ही विधायक की टिकट काटी है। कांग्रेस की अभी एक सूची और बची है जिसमे भी कुछ नए चेहरे दिख जाये तो अप्रत्याशित नहीं होगा। बड़बोले नेता भी दिखाई देने लगे हैं नेता चुनाव जितने के लिए कुछ भी बयानबाजी कर रहे हैं मजे की बात तो ये है कि एक विधानसभा में कुछ बोलते हैं, दूसरे विधानसभा में जाकर उस बयान का खंडन भी कर दे रहे हैं। चुनाव को नेताओं ने मजाक बना रखा है। जबकि लोकतंत्र आधार ही निष्फक्ष चुनाव लेकिन यहां उल्टी गंगा बह रही है। अपनी ही जुबां पर कायम नहीं रह सकते तो जनता की कितनी भलाई करेंगे।  महिला आरक्षण के जुमले पर लगी मुहर   कांग्रेस नेता महिला आरक्षण को लेकर लगातार कहते आ रहे है कि यह जुमला से कम नहीं है, ताजा विधानसभा चुनाव में भाजपा का महिलाओं के सम्मान का खोखलापन उजागर हो गया। भाजपा ने महिला विधेयक पास करते ही महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही थी लेकिन 90 विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण के मान से 30 महिलाओं को टिकट मिलना था, लेकिन मिले 16 को जबकि कांग्रेस ने 19 महिलाओं को टिकट देकर बाजी मार ली है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रतिशत के आधार पर दोनों दल पीछे है, दोनों ही दलों ने महिलाओं को सम्मान देने में कोताही बरती।


R.O. No.12702/2
DPR ADs

Back to top button
रुपाली गांगुली ने करवाया फोटोशूट सुरभि चंदना ने करवाया बोल्ड फोटोशूट मौनी रॉय ने बोल्डनेस का तड़का लगाया चांदनी भगवानानी ने किलर पोज दिए क्रॉप में दिखीं मदालसा शर्मा टॉपलेस होकर दिए बोल्ड पोज जहान्वी कपूर का हॉट लुक नरगिस फाखरी का रॉयल लुक निधि शाह का दिखा ग्लैमर लुक