अलग हैं धर्म और पंथ-मजहब, इसलिए सर्वधर्म समभाव वाली अवधारणा उचित नहीं

हृदयनारायण दीक्षित। पतंजलि ने महाभाष्य में लिखा है कि शब्द का सम्यक ज्ञान एवं प्रयोग अभीष्ट की पूर्ति करता है। शब्द प्रयोग सम्यक न होने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। दिल्ली उच्च न्यायालय में रिलीजन यानी पंथ के पर्याय के रूप में धर्म शब्द के प्रयोग पर जनहित याचिका विचरण में है। याचिका में रिलीजन शब्द के वास्तविक अर्थ का प्रयोग करने और आधिकारिक अभिलेखों में इस शब्द को धर्म के पर्याय के रूप में न करने के निर्देश की प्रार्थना है। जन्म प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि अभिलेखों में भी इसके सही उल्लेख की मांग की गई है।
