मुश्किल में रिटायर्ड IAS, इस मामले में दर्ज हुई FIR

लखनऊ: आवास विकास परिषद की इंदिरा नगर आवासीय योजना में नीलामी के जरिये एक महिला को आवंटित किये गये भूखण्ड की फाइल ही गायब हो गई। वर्ष 1991 में हुई इस नीलामी के बाद पीड़िता का भूखण्ड प्रीमियर कांस्ट्रक्शन कम्पनी के नाम आवंटित कर दिया गया था। पीड़िता की शिकायत पर वर्ष 2020 में गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र के आदेश पर सीबीसीआईडी ने जांच की। जांच में तत्कालीन लेखाधिकारी सुरेश कुमार वर्मा, तत्कालीन संयुक्त आवास आयुक्त सत्येन्द्र सिंह, तत्कालीन सम्पत्ति प्रबन्ध अधिकारी कृपाशंकर मिश्रा और विजय कुमार महरोत्रा को दोषी मानते हुये गाजीपुर कोतवाली में एफआईआर दर्ज करायी गई है। इसमें महिला को भी आरोपी बनाया गया है।

एफआईआर दर्ज कराने वाले सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर आशीष कुमार के मुताबिक आरोपितों में से सुरेश की वर्ष 2017 और कृपाशंकर की वर्ष 2018 में मौत हो चुकी है। जबकि सत्येन्द्र सिंह शासन में सचिव पद से 31 दिसम्बर, 2018 और विजय कुमार महरोत्रा सम्पत्ति प्रबन्ध अधिकारी पद से 30 जून, 2014 को रिटायर हो चुके हैं। इंस्पेक्टर ने लिखाया है कि इंदिरानगर बी-13 निवासी सविता गर्ग ने 23 सितम्बर, 1991 में परिषद की योजना में नीलामी के जरिये भूखण्ड आवंटित कराया था। तब नेहरू इन्क्लेव के कृष्णकान्त मिश्रा ने आरोप लगाया था कि सविता ने प्रीमियर कान्सट्रक्शन्स के प्रतिनिधि के तौर पर नीलामी में भाग लिया था। सविता ने तर्क दिया था कि वह नीलामी में एकल रूप से शामिल थी। इस सम्बन्ध में परिषद ने कोई भी मूल दस्तावेज नहीं दिया और न ही सविता गर्ग तथा प्रीमियर कांस्ट्रक्शन के भागीदार का पत्र ही उपलब्ध कराया था। इस पत्र पर ही सविता का भूखण्ड प्रीमियर कांस्ट्रक्शन को दिया गया था।
सविता ने परिषद में शिकायत की तो पता चला कि मूल पत्रावली ही गायब हो गई है। वर्ष 1999 से 2004 तक इन्दिरानगर कार्यालय में जो भी तैनात रहे, सबने फाइल न मिलने की बात ही कही थी। इस बीच हाईकोर्ट के आदेश पर सविता को इस भूखण्ड की रजिस्ट्री परिषद को करनी पड़ी थी। जांच के दौरान कर्मचारी सुरेश चन्द्र वर्मा ने बताया था कि मूल फाइल समेत 10 फाइलें आफिस से तत्कालीन संयुक्त आवास आयुक्त सत्येन्द्र सिंह ले गये थे। नौ फाइलें वापस की थी पर एक फाइल वापस नहीं मिली थी। इंस्पेक्टर आशीष के मुताबिक सुरेश की मौत हो चुकी है लिहाजा उसके बयान को न झूठलाया जा सकता है और न उसे सही माना जा सकता है।
सीबीसीआईडी ने सवाल उठाया है कि परिषद ने सविता का भूखण्ड प्रीमियर कांस्ट्रक्शन को दिया था तो सविता को रिकवरी नोटिस क्यों भेजा । इससे प्रतीत होता है कि इंदिरानगर संपत्ति प्रबन्ध कार्यालय के अफसरों व कर्मचारियों ने लापरवाही व अनियमितता को छिपाने के लिये मूल पत्रावली गायब कर दी गयी होगी। लिहाजा इन आरोपियों के खिलाफ आगे विवेचना की जरूरत है।