हैकिंग और जालसाजी पर शिकंजा कसने के लिए बनेगी कमांडो विंग

इंदौर: साइबर क्राइम पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘साइबर कमांडो’ विंग स्थापित करने का फैसला किया है. इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों के साथ केंद्रीय पुलिस संगठनों के जवानों को शामिल किया जाएगा. गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर अपने पुलिस बलों में 10-10 उपयुक्त साइबर कमांडो की पहचान करने को कहा है.
साइबर कमांडो विंग का विचार इस साल की शुरुआत में आया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीजीपी/आइजी सम्मेलन में इसकी स्थापना की सलाह दी थी. गृह मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि नई विंग साइबर सुरक्षा के खतरों का मुकाबला करेगी. यह इंफॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी की रक्षा करने के साथ साइबर स्पेस में जांच करेगी. विंग पुलिस संगठनों का अभिन्न अंग होगी. इसके कमांडो आइटी सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र के जानकार होंगे. विंग का संचालन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस संगठनों/सीएपीएफ से लिए गए प्रशिक्षित पुलिसकर्मी करेंगे. जाएगा. जरूरत पड़ने पर पेशेवर साइबर विशेषज्ञों को उनकी मदद के लिए रखा जाएगा. कमांडो को साइबर खतरों से निपटने के लिए आधुनिक प्रणालियों से लैस किया जाएगा.

हैकिंग, ऑनलाइन जालसाजी और धोखाधड़ी की घटनाओं ने देश के डिजिटल नेटवर्क की विभिन्न कमजोरियां उजागर की हैं. इसी साल एम्स (दिल्ली) के सर्वर पर हुए हमले से तकीब चार करोड़ स्वास्थ्य रिकॉर्ड की गोपनीयता भंग हुई और दो हफ्ते तक सिस्टम आउटेज से जूझना पड़ा. एक अन्य साइबर हमले में रैंसमवेयर समूह ‘ब्लैककैट’ ने रक्षा मंत्रालय के लिए गोला-बारूद और विस्फोटक बनाने वाली कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सुरक्षा को भंग किया और दो टेराबाइट से ज्यादा डेटा की चोरी की. भविष्य में इस तरह के हमलों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की जरूरत है.
गृह मंत्रालय के पत्र के मुताबिक साइबर कमांडो को सभी रैंक के सेवारत कर्मियों में से आइटी सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक क्षेत्र में उनके ज्ञान और योग्यता के आधार पर चुना जाएगा. उन्हें विशेष रूप से डिजाइन किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना होगा.