नवरात्रि की विनायक चतुर्थी पर करें ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र घर पर जाएगी सुख सन्ति

गणेश स्तोत्र : हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन गणपति की साधना आराधना को समर्पित चतुर्थी बेहद खास मानी जाती है जो कि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाई जाती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है इस दिन भक्त गणपति की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं।

इस बार की विनायक चतुर्थी आज यानी 18 अक्टूबर को पड़ी है इसी दिन नवरात्रि का चौथा दिन है जो कि मां कूष्मांडा की साधना को समर्पित है इस दिन गणपति की की साधना आराधना के साथ साथ अगर ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का सच्चे मन से पाठ किया जाए तो सभी प्रकार के कर्जों से मुक्ति मिल जाती है और धन लाभ के योग बनने लगते हैं।
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र—
ध्यान
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥
मूल-पाठ
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥
श्री गणेश मंत्र—
1. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर
वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।’
‘ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम्
संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।’
2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
3. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥