पासिंग ऑर्डर जारी करने के लिए भी होती थी वसूली

गुडगाँव: क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) में वाहनों का पासिंग ऑर्डर देने के नाम पर भी उगाही का खेल चल रहा था. एक वाहन का पासिंग ऑर्डर देने के एवज में 1100 रुपये की वसूली होती थी. रुपये दलालों के माध्यम से कर्मचारियों तक पहुंचते थे और रुपये नहीं देने पर काम समय पर नहीं होता था.
काम करवाने के लिए लोग कार्यालय के चक्कर तक काटने पड़ते थे. आखिर में रुपये देकर ही काम होता था. बता दें कि गुरुग्राम पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 21 आरटीए में तैनात ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर हरबंस सिंह को गिरफ्तार किया. आरोपी को कोर्ट में पेश कर दो दिन की रिमांड पर लिया गया.
पूछताछ में उसने खुलासा कि पासिंग के दौरान आने वालें वाहनों के कागजतों में नाम,पते,फोन नंबर सहित अन्य किसी चीज में बदलाव होना होता हैं,तो उसके लिए अगर से पासिंग ऑर्डर दिया जाता है. उस पासिंग ऑर्डर के एवज में वह 1100 रुपये की वसूली होती थी. रिमांड खत्म होने के बाद को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अभी तक इस मामले में एसआईटी पांच दलाल,एक वकील और एक ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर चुकी है.
फाइलों का रिकॉर्ड जब्त

मुख्य आरोपी फरार
आरटीए में वाहनों की नई आरसी बनवाने और पासिंग ऑर्डर के नाम पर अवैध वसूली का खेल कई सालों से चल रहा है. एसआईटी की जांच में सामने आया कि रोजाना आरटीए कर्मचारी दलालों से फाइल पास करवाने के नाम पर 1500 रुपये और 00 रुपये तक रुपये वसूलते है. दलाकों द्वारा दी गई फाइलें पर कोड-वर्ड लिखा जाता था.रोजाना ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर फाइलों की लिस्ट बनाकर मुख्य दलाल को सौंपते थे. मुख्य दलाल सभी सक्रिय दलालों से रुपयों की उगाही करने के बाद उन तक रुपये पहुंचाता था. उसके एवज में ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर 20 से हजार रुपये महीना देते थे.
14 सितंबर को हुआ था खुलासा
ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर हरबंस को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया गया था. रिमांड के दौरान पूछताछ में सामने आया कि पासिंग ऑर्डर देने के लिए 1100 रुपये की वसूली होती थी. अब तक सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
-मुकेश कुमार, एसीपी सिटी