
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ बजरी के अवैध परिवहन पर अंकुश लगाने के लिए खान विभाग ने कुछ माह पहले वाहनों पर जुर्माना बढ़ा दिया था. अवैध बजरी परिवहन पर पहली बार 5 लाख रुपए और रॉयल्टी का 10 गुना जुर्माना और दूसरी बार वाहन की शोरूम कीमत का 50 प्रतिशत और करीब 1.5 लाख रुपए जुर्माना तय किया गया है। इसके बावजूद बजरी का अवैध परिवहन नहीं रुक रहा है. भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिले से आने वाली बजरी बिना नंबर के ट्रक-डम्परों में भरकर प्रतापगढ़ के साथ-साथ मध्य प्रदेश तक पहुंच रही है. खनिज विभाग और पुलिस कार्रवाई से आंखें मूंदे हुए है। दो पत्रकारों ने करीब एक सप्ताह तक चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ हाईवे 56 पर भ्रमण कर अलग-अलग स्थानों पर नजर रखी तो पता चला कि जिले में प्रतिदिन 10 से 15 ट्रेलर-ट्रक बजरी लेकर रात के समय आते हैं। रात के 12:00 बजे से लेकर सुबह तक का समय गुजरता नजर आ रहा है।

इनमें से अधिकांश वाहनों पर नंबर प्लेट नहीं है। 70 किलोमीटर लंबे इस हाइवे के रास्ते में प्रतापगढ़ जिले के चार थाने पड़ते हैं, लेकिन इनके सामने से भी ये बिना नंबर के बजरी से भरे ट्रक आसानी से निकल जाते हैं. परिवहन विभाग के उड़नदस्ते भी आए दिन इस हाईवे पर नाकाबंदी करते हैं, लेकिन इन बजरी से भरे ट्रॉलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। 21 दिसंबर को चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ नेशनल हाईवे पर सफर करते हुए रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक अवैध बजरी परिवहन पर नजर रखी। निंबाहेड़ा के बाद बजरी से भरे ये ट्रक छोटीसादड़ी थाना क्षेत्र और प्रतापगढ़ कोतवाली के बीच, धोलापानी और धमोतर थाने के सामने से आसानी से गुजरते नजर आए. इसी हाईवे के बमोतर, धमोतर घाट सेक्शन में परिवहन विभाग के उड़नदस्ते भी तैनात किए गए, लेकिन चार पुलिस थानों और परिवहन विभाग की नाकाबंदी के बावजूद बजरी से भरे ट्रक बिना किसी रोक-टोक के गुजर गए। कई बार बजरी माफिया महज डेढ़ घंटे के अंतराल में बजरी से भरे 10 से 15 ट्रेलर निकाल ले गए। इनमें से कुछ बजरी से भरे वाहन रातों-रात शहर में खाली हो जाते हैं तो कुछ मध्य प्रदेश चले जाते हैं। शहर के अंबेडकर सर्किल पर खाली होने के बाद दिन में बजरी को ट्रैक्टरों से निर्माण कार्यों में पहुंचाया जा रहा है। पुलिस पकड़ती है तो खनिज विभाग जुर्माना लगाने पहुंच जाता है: आम तौर पर पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती और न ही परिवहन विभाग के उड़नदस्ते कभी बजरी से भरे वाहनों को रोकते हैं।