तकनीकी विकास और समृद्धि के सोपान

रंजना मिश्रा: इनकी मदद से कृत्रिम मेधा को तेजी से विकसित किया जा सकेगा। साथ ही इससे मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव होगा, विश्व भर की खुफिया एजंसियां बड़ी मात्रा में कूट सामग्री को समझने में इसका उपयोग कर सकेंगी।

आधुनिक युग के तकनीकी सफर में क्वांटम प्रौद्योगिकी सबसे तेजी से विकसित हो रही है। वैसे अभी तक इस तकनीक में अधिक तरक्की नहीं हो सकी है और न ही इसका व्यावहारिक उपयोग संभव हो पाया है, मगर भविष्य में इसको लेकर अनेक संभावनाएं जताई जा रही हैं। क्वांटम प्रौद्योगिकी मुख्यत: क्वांटम मेकेनिक्स के सिद्धांतों पर आधारित होती है।
क्वांटम मेकेनिक्स भौतिकी का वह क्षेत्र है, जिसमें परमाणविक या उप परमाणविक कणों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, जिसे भौतिकी के स्थापित सिद्धांतों के माध्यम से नहीं समझा जा सकता। दरअसल, क्वांटम कणों (इलेक्ट्रान, फोटान आदि) का व्यवहार सामान्यतया आंखों से दिखाई देने वाली वस्तुओं के व्यवहार से काफी भिन्न होता है। क्वांटम प्रौद्योगिकी के अंतर्गत ऐसे कणों के गुणों को नियंत्रित करके या उनमें आवश्यक परिवर्तन लाकर क्वांटम कंप्यूटर और अन्य प्रौद्योगिकियों का निर्माण किया जाएगा, जो वर्तमान कंप्यूटरों और प्रौद्योगिकियों से बेहतर होगी।
आज विश्व के कई बड़े देश इस क्षेत्र में महारत हासिल करने की प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं, क्योंकि जो देश अपने यहां क्वांटम प्रौद्योगिकी को विकसित कर लेगा, वह दुनिया में अग्रणी होगा और आर्थिक रूप से अधिक समृद्धि हासिल करेगा। क्वांटम भौतिकी से जुड़े लाभों और संभावनाओं को देखते हुए कई संस्थान, कंपनियां और सरकार क्वांटम कंप्यूटिंग में निवेश कर रही हैं।
भारत सरकार ने भी वर्ष 2019 में क्वांटम प्रौद्योगिकी को ‘राष्ट्रीय महत्त्व के मिशन’ का दर्जा दिया था और 2021 में इसके अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन की शुरुआत की और इसके लिए आठ हजार करोड़ रुपए का आबंटन किया। सेना ने मध्यप्रदेश में क्वांटम रिसर्च सुविधा की शुरुआत की है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने पुणे में इससे जुड़ी एक और सुविधा शुरू की है।
क्वांटम तकनीक में क्वांटम मेकेनिक्स के दो सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है- ‘सुपरपोजिशन’ और ‘इंटैगलमेंट’। आज हर क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है। तकनीक के विकास के साथ-साथ इनका आकार छोटा होता और क्षमता बढ़ती जा रही है। अभी वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग कार्यों के लिए अत्यधिक उच्च गति की गणना करने के लिए सुपर कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है, लेकिन वर्तमान में जो भी कंप्यूटर या सुपर कंप्यूटर हैं, उनमें सूचनाओं को नियोजित करने और बड़ी-बड़ी गणनाएं करने में काफी समय लग जाता है, पर क्वांटम कंप्यूटर द्वारा इन्हें बहुत कम समय में किया जा सकेगा। दरअसल, परमाणु प्राकृतिक रूप से एक सूक्ष्म कैलकुलेटर की भांति कार्य करते हैं, इनसे सूक्ष्म गणना की जा सकती है। इसीलिए वैज्ञानिकों के दिमाग में क्वांटम कंप्यूटर के निर्माण का विचार आया।
क्वांटम कंप्यूटर बड़ी से बड़ी और जटिल से जटिल गणितीय समस्याओं को चंद पलों में हल कर सकता है। यह एक ही समय में एक प्रश्न के सभी संभावित उत्तर खोज कर बता सकता है। यानी यह किसी समस्या के हल की करोड़ों संभावनाएं और तरीकों को मिनटों में खंगाल लेता और सभी संभावित उत्तरों को हमारे सामने लाकर रख देता है। इसकी मदद से बड़े से बड़े अंतरिक्ष समीकरणों को मिनटों में हल किया जा सकता है, जिसे पारंपरिक कंप्यूटरों द्वारा हल करने में हजारों साल लग सकते हैं।
क्वांटम कंप्यूटर अधिक तेजी और अधिक कुशलता के साथ तो काम करेंगे ही, इनसे ऐसे काम भी संभव हो पाएंगे, जिनकी अभी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इनकी मदद से कृत्रिम मेधा को तेजी से विकसित किया जा सकेगा। साथ ही इससे मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव होगा, विश्व भर की खुफिया एजंसियां बड़ी मात्रा में कूट सामग्री को समझने में इसका उपयोग कर सकेंगी।
क्वांटम तकनीक से शेयर बाजार का सटीक अनुमान, बेहतर चिकित्सा सेवा, अधिक उत्कृष्ट उत्पादों का निर्माण, सस्ती और नई दवाएं, सौर पैनलों का बड़े पैमाने पर बेहतर निर्माण संभव हो सकेगा। ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में भी इससे मदद मिलेगी। क्वांटम कंप्यूटिंग में डेटा की ‘क्रिप्टोग्राफी’ अधिक सटीक ढंग से होती है, इसलिए इसमें सेंध लगा पाना लगभग नामुमकिन है। क्वांटम कंप्यूटर की कार्य क्षमता पारंपरिक कंप्यूटरों से अधिक होती है, इसलिए इससे एक ही समय में बहुत तेज गति से कई ‘एप्लीकेशन’ चलाए जा सकते हैं। क्वांटम प्रौद्योगिकी से विज्ञान में नई खोजों को बढ़ावा मिलेगा।
लोगों में यह गलत धारणा है कि क्वांटम कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटर प्रणाली को समाप्त कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं है। वास्तव में क्वांटम कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटरों की जगह लेने के लिए विकसित नहीं किए जा रहे, बल्कि इनका निर्माण विशिष्ट प्रकार की गतिविधियों को उच्चतम सटीकता के साथ संपन्न करने के लिए किया जा रहा है। क्वांटम कंप्यूटर कार्बन उत्सर्जन को भी कम करने में मदद करेंगे, क्योंकि इनको बनाने के लिए प्रयुक्त तकनीकें आज के कंप्यूटर में उपयोग किए जाने वाले ट्रांजिस्टर की तुलना में बहुत कम विद्युत का उपयोग करती हैं। क्वांटम प्रौद्योगिकी का उद्देश्य चिकित्सा, वित्त, ऊर्जा, परिवहन, संचार, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रों में व्यापक और नवीन प्रगति लाना है, लेकिन इसके उपयोग के कुछ खतरे भी विद्यमान हैं।
अनेक लाभों के बावजूद, क्वांटम प्रौद्योगिकी से राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इसकी वजह से साइबर हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है और डेटा के सुरक्षित हस्तांतरण के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है। क्वांटम कंप्यूटर को बनाना भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसके लिए ‘सुपरपोजिशन’ जैसी प्रक्रिया पर नियंत्रण करना जरूरी होता है, जो कि बहुत मुश्किल काम है। क्वांटम तकनीक से जुड़ी मशीनरियों को संचालित और सुरक्षित रखना बहुत मुश्किल काम है, जिसके लिए कुशल व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है, लेकिन अभी ऐसे व्यक्तियों की कमी है।
‘क्यूबिट’ केवल क्रायोजेनिक तापमान पर स्थिर होते हैं, इसलिए क्वांटम कंप्यूटरों को सामान्य अवस्था में नहीं रखा जा सकता। क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए प्रयुक्त ‘क्यूबिट तकनीक’ शोर और अन्य बाहरी दखल के प्रति बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए क्वांटम कंप्यूटर द्वारा की गई गणना में त्रुटियों की संभावना रहती है। क्यूबिट का जीवनकाल अल्पकालिक होता है, इसलिए वैज्ञानिकों के लिए इन्हें संभालना बड़ी चुनौती है।
क्वांटम कंप्यूटर सूचनाओं की सुरक्षा करने वाले ‘एनक्रिप्शन टूल्स’ में शामिल आरएसए (जो सबसे मजबूत कवच होता है) को भी भेद सकता है। इसलिए इससे दूसरे देशों की गोपनीय सूचनाओं में सेंध लगने का खतरा बढ़ जाता है। क्वांटम तकनीक से जुड़े अनुप्रयोग काफी खर्चीले होते हैं, इसलिए क्वांटम कंप्यूटर को तैयार करने में भारी निवेश की जरूरत पड़ती है। किसी भी तकनीक के विकास में पर्याप्त संसाधनों और कौशलयुक्त जनशक्ति की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभी इसकी कमी है। अभी अमेरिका, चीन और यूरोप की केवल कुछ बड़ी तकनीकी कंपनियां और कुछ शोध संस्थान इस क्षेत्र में विकास करने में सक्षम हैं, क्योंकि इस प्रौद्योगिकी के लिए जिन विशेषज्ञताओं और उच्च कंप्यूटिंग क्षमताओं की आवश्यकता है, वे सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
चीन और अमेरिका जैसे देश बेहतर निवेश के साथ क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल हैं। भारत को भी क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल होने के लिए अधिक निवेश के साथ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की जरूरत है। भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग के विकास हेतु आधारभूत ढांचे और वैज्ञानिकों की जरूरत है। इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए भारत सरकार को उपयुक्त रणनीति बनानी और उस पर कार्य करना होगा। क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में निजी कंपनियों और संस्थाओं को भी आगे आना होगा, तभी भारत इस प्रौद्योगिकी को विकसित करने में सफल हो सकेगा।
क्रेडिट : jansatta.com