श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन ऐसे करें पूर्वजों का धूप ध्यान, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद

16 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष का समापन आज यानी 14 अक्टूबर दिन शनिवार को हो रहा है जिसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जा रहा है शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जा रहा है। इस दिन लोग अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करके उन्हें विदाई देते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।

सर्व पितृ अमावस्या के अगले दिन यानी 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाएगा। मान्यता है कि अमावस्या पर अगर पूजा पाठ और पितरों के निमित्त धूप ध्यान किया जाए तो उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है, तो आज हम आपको उन्हीं के बारे में बता रहे हैं।
ऐसे करें पूर्वजों का धूप ध्यान—
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पर गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडे के अंगारों से धुआं निकलना बंद हो जाए तब अंगारों पर गुड़, घी, खीर पुड़ी चढ़ाएं और पूर्वजों का ध्यान करें इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
आप चाहें तो अमावस्या के दिन किसी पुजारी या फिर ब्राह्मण की सहायता से भी पितरों का धूप ध्यान कर सकते हैं। इससे आप उनका विधिवत धूप ध्यान कर पाएंगे। जिसके बाद ब्राह्माणों को भी दान दक्षिणा जरूर दें और सम्मान के साथ भोजन कराएं। मान्यता है कि इस विधि से पितरों का धूप ध्यान करने से उनकी कृपा बरसती है जिससे जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्नति व सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।