पांच दशक बाद किसानों ने मोटे अनाजों के उत्पादन में दिलचस्पी दिखाई

कटिहार: जिले के किसान मोटे अनाज का उत्पादन कर कम लागत में बेहतर उत्पादन के साथ अधिक आय कमाने में जुट गये हैं. ज्वार, बाजरा, कोदो, मडुआ को सुपरफूड की कैटेगरी में माना गया है. यह न सिर्फ किसानों की आमदनी को बेहतर करेगा. बल्कि इसके सेवन से कई सारी बीमारियों से भी लोगों को निजात मिलेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) कटिहार के वैज्ञानिक किसानों को इसकी खेती के लिए जागरूक कर रहे है. इसी को लेकर एक बार फिर से दियारा क्षेत्र में किसान इसके उत्पादन पर जोर दे रहे है. इसमें मुख्य रूप से कुरसेला, बरारी, बकिया, सुखासन, मनिहारी, अमदाबाद क्षेत्र में इसकी खेती होगी. पहले इन क्षेत्रों में मेअे अनाजों की व्यापक खेती होती थी.

मोटे अनाज के उत्पादन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) कटिहार के वैज्ञानिक भी गांव-गांव घूमकर किसानों को इसकी खेती के लिए जागरुक कर रहे हैं. केवीके के वैज्ञानिक पंकज कुमार ने बताया कि इन फसलों की बुआई से लेकर पकने तक अधिक पानी (सिंचाई) की जरूरत अन्य फसलों के अनुपात कम होती है. ज्वार, बाजरा, कोदो, मडुआ आदि की खेती कर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ रख सकते हैं.

2023 अन्तर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष किया गया है घोषित

कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक पंकज कुमार ने बताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (श्रीअन्न) घोषित है. इसी के तहत किसानों को जानकारी दी जा रही है. विश्व पटल पर मोटा अनाज की मांग है. किसान मोटे अनाज का पैदावार कर खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है. उन्होंने बताया कि इसमें कम सिंचाई किए जाने के कारण 400 मिलिमीटर वार्षिक बारिश होने से इसकी सफल खेती होती है. मोटे अनाज की फसल में रोग एवं कीड़े के प्रकोप नहीं के बराबर होते है.


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