न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने फातिमा को कोई राहत देने से किया इनकार

अशरफ और उसके भाई अतीक अहमद की अप्रैल में तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। न्यायमूर्ति वी के बिरला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने फातिमा को कोई राहत देने से इनकार कर दिया, जिसने हत्या के मामले के संबंध में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए अदालत के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो पुलिस सुरक्षा गार्ड की 24 फरवरी को यहां उनके धूमनगंज आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अपनी याचिका में जैनब फातिमा ने अदालत से मामले में उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था।
फातिमा उमेश पाल हत्याकांड में वांछित है क्योंकि उसने शूटर को शहर से भागने में कथित तौर पर मदद की थी। फिलहाल वह फरार है और उसका कोई अता-पता नहीं है।