पिप्पली में हैं कई औषधीय गुण, इन बीमारियों पर करती है ‘हमला’

पिप्पली एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में पिप्पली की चार प्रजातियों के बारे में बताया गया है, लेकिन व्यवहार में छोटी और बड़ी दो प्रकार की पिप्पली ही आती हैं। पिप्पली की लता भूमि पर फैलती है। यह सुगन्धित होती है। इसकी जड़ लकड़ी जैसी, कड़ी, भारी और श्यामले रंग की होती है। जब आप इसे तोड़ेंगे तो यह अन्दर से सफेद रंग की होती है। इसका स्वाद तीखा होता है।
पिप्पली के पौधे में फूल बारिश के मौसम में खिलते हैं और फल ठंड के मौसम में होते हैं। इसके फलों को ही पिप्पली कहते हैं। बाजार में इसकी जड़ को पीपला जड़ के नाम से बेचा जाता है। जड़ जितनी वजनदार व मोटी होती है, उतनी ही अधिक गुणकारी मानी जाती है। बाजार में जड़ के साथ-साथ गांठ आदि भी बेची जाती है।
दांतों के रोग में पिप्पली के औषधीय गुण से फायदा
– दांतों के रोग के इलाज के लिए 1-2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाएं। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
– पिप्पली चूर्ण में मधु एवं घी मिलाकर दांतों पर लेप करने से भी दांत के दर्द में फायदा होता है।
3 ग्राम पिप्पली चूर्ण में 3 ग्राम मधु और घी मिलाकर दिन में 3-4 बार दांतों पर लेप करें। इससे दांत में ठंडा लगने की परेशानी में लाभ मिलता है।
– किसी व्यक्ति को जबड़े से संबंधित परेशानी हो रही हो तो उसे काली पिप्पली तथा अदरक को बार-बार चबाकर थूकना चाहिए। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करना चाहिए। इससे जबड़े की बीमारी ठीक हो जाती है।
– जब बच्चों के दांत निकल रहे होते हैं तो उन्हें बहुत दर्द होता है। इसके साथ ही अन्य परेशानियां भी झेलनी पड़ती है। ऐसे में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण को 5 ग्राम शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर घिसने से दांत बिना दर्द के निकल आते हैं।
खांसी और बुखार में पिप्पली का औषधीय गुण लाभदायक
– बच्चों को खांसी या बुखार होने पर बड़ी पिप्पली को घिस लें। इसमें लगभग 125 मिग्रा मात्रा मंर मधु मिलाकर चटाते रहें। इससे बच्चों के बुखार, खांसी तथा तिल्ली वृद्धि आदि समस्याओं में विशेष लाभ होता है।
– बच्चे अधिक रोते हैं तो काली पिप्पली और त्रिफला की समान मात्रा लें। इनका चूर्ण बना लें। 200 मिग्रा चूर्ण में एक ग्राम घी और शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाएं।
– पिप्पली को तिल के तेल में भूनकर पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इसे 1/2-1 ग्राम मात्रा में कटेली के 40 मिली काढ़ा में मिला लें। इसे पीने से कफ विकार के कारण होने वाली खांसी में विशेष लाभ होता है।
– पिप्पली के 3-5 ग्राम पेस्ट को घी में भून लें। इसमें सेंधा नमक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे कफ विकार के कारण होने वाली खांसी में लाभ होता है।
– इसी तरह 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे बच्चों की खांसी, सांसों की बीमारी, बुखार, हिचकी आदि समस्याएं ठीक होती हैं।
पिप्पली के औषधीय गुण से जुकाम का इलाज
– पीपल, पीपलाजड़, काली मिर्च और सोंठ के बराबर-बराबर भाग का चूर्ण बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा लेकर शहद के साथ चटाते रहने से जुकाम में लाभ मिलता है।
– इसी तरह पिप्पली के काढ़ा में शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से भी जुकाम से राहत मिलती है।
आवाज (गला बैठने) पर पिप्पली के फायदे
– गला बैठने पर बराबर-बराबर मात्रा में पिप्पली तथा हर्रे लें। इनका चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को कपड़े से छानकर मधु मिला लें। इसका सेवन करने तथा इसके बाद तीक्ष्ण मद्य का पान करने से कफ विकार के कारण गला बैठने की समस्या में लाभ होता है।


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