सोनीपत के खिलाड़ी सुमित आंतिल ने जीता गोल्ड

सोनीपत। एशियन गेम्स के बाद पैरा एशियन गेम्स में भी हरियाणा के खिलाड़ियों का जलवा बरकरार है, चीन के हांगझोऊ में आयोजित हो रहे पैरा एशियन गेम्स में गांव खेवड़ा के लाडले सुमित आंतिल ने शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने एक बार फिर से देश व प्रदेश का मान बढ़ाते हुए 73.29 मीटर के थ्रो के साथ एशियन पैरा गेम्स रिकॉर्ड और विश्व रिकॉर्ड को तोड़ा है। सुमित ने अपने तीसरे प्रयास में इस उपलब्धि को प्राप्त किया। सुमित की इस जीत के बाद गांव व परिवार में जश्न का माहौल है और अब परिवार और गांव वाले आपने लाडले के इंतजार में बैठे और उसका बड़ी धूमधाम से स्वागत की तैयारी अब गांव व परिवार कर रहा है

पैरा ओलंपियन सुमित आंतिल का सफर हमेशा कठिनाइयों भरा रहा है। करीब नौ साल पहले हुए सड़क हादसे में एक पैर गंवाने के बाद भी सुमित ने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और बुलंद हौसले से हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया। चेहरे पर मुस्कान रखने वाले सुमित ने न सिर्फ अपने से बड़ी तीन बहनों रेनू, सुशीला व किरण को हौसला दिया बल्कि इकलौते बेटे के साथ हुए हादसे से दुखी मां निर्मला देवी को भी कहा था कि- मां रो मत, जो दो पैर वाला नहीं दे पाएगा, तुझे इतना सुख दूंगा। अपनी कही बात को वह लगातार सच कर रहे हैं। सुमित की इस जीत के बाद गांव में जश्न का माहौल है और परिवार अब अपने बेटे के स्वागत समारोह की तैयारियों में जुटने वाला है, ताकि उसका बड़ी धूमधाम से स्वागत किया जा सके।
सुमित आंतिल का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था। सुमित जब सात साल के थे, तब एयरफोर्स में तैनात पिता रामकुमार का बीमारी से निधन हो गया था। पिता का साया सिर से उठने के बाद मां निर्मला ने हर दुख सहन करते हुए चारों बच्चों का पालन-पोषण किया। सुमित जब 12वीं कक्षा में थे तो कॉमर्स का ट्यूशन लेते थे। 5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस आ रहे थे, तभी सीमेंट के कट्टों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली ने सुमित को टक्कर मार दी थी और काफी दूर तक घसीटते हुए ले गई थी। इस हादसे में सुमित को अपना पैर गंवाना पड़ा था। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सुमित को वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के पूना ले जाया गया था, जहां उसका पैर चढ़ाया गया था। उसके बाद से वह सदैव आगे ही बढ़ते जा रहे हैं।