नैनीताल हाईकोर्ट डीएसए मैदान में नियम के विरूद्ध लगे झूलों को लेकर हुआ सख्त

नैनीताल: नैनीताल के प्रसिद्ध डीएसए मैदान में नंदा देवी महोत्सव के दौरान नियम विरुद्ध लगाए गए झूलों के मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नैनीताल पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी के सभी अधिकार सीज करने और अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल को निलंबित करने के निर्देश दिए है। हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट के ही रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में कमेटी गठन कर झूलों के टेंडर में हुई अनियमितताओं की जांच के आदेश भी दिए है।

ऐसे में यदि नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी दोनों के ही अधिकार हाईकोर्ट द्वारा खत्म कर दिए जाएं तो नगर पालिका के कार्यों की ज़िम्मेदारी किस पर होगी? आइये बताते है आपको।
आमतौर पर, नगरपालिका अधिनियम तीन प्रकार के होते हैं – राज्यव्यापी सामान्य नगर पालिका अधिनियम, नगर निगमों की स्थापना के लिए अलग अधिनियम, और ऐसे अधिनियम जो व्यक्तिगत नगर निगमों के लिए विशिष्ट होते हैं। यह अधिनियम ‘नगर पालिका’ की परिभाषा को भारत के संविधान द्वारा अनुच्छेद 243-पी खंड (ई) के तहत निर्धारित परिभाषा का पर्याय मानता है जो इसे ‘अनुच्छेद 243 Q के तहत गठित स्वशासन की एक संस्था’ के रूप में परिभाषित करता है। नगर पालिका अध्यक्ष और ईओ के अधिकारों को समाप्त करने के बाद की अवधि में वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग जिलाधिकारी नगर पालिका अधिनियम 1916 में निहित व्यवस्था के अनुुसार करते है। यानी जिला प्रशासन ही नगर पालिका का चार्ज संभालेगी।
आपको बता दें कि नैनीताल के डीएसए मैदान में बिना निविदा आमंत्रित किये झूलों के टेंडर और समय सीमा के बाद भी झूलों को न हटाये जाने के आरोप में नगर पालिका अध्यक्ष और ईओ को हाईंकोर्ट में तलब किया गया था,साथ ही अवमानना नोटिस भी दिया था। इन सभी आरोपो पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नगर पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी और ईओ आलोक उनियाल को कड़ी फटकार लगाते हुए अध्यक्ष के सभी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार को सीज कर दिए,साथ ही ईओ आलोक उनियाल को सस्पेंड करने के निर्देश दिये है।