बदलता यात्रा वृतांत

By: divyahimachal  

कुल्लू की उड़ान के बाद जहाज अब अमृतसर-शिमला को हवाई यात्राओं के नए सफर पर ले जा रहा है। कुछ नए रास्ते इजहार के, आकाश के दरम्यान निखार के। पिछले पांच सालों में विमान सेवाओं में हो रही बढ़ोतरी से प्रदेश में हाई एंड टूरिज्म में बढ़ोतरी का संकेत है और अगर हिमाचल को विशुद्ध रूप से पर्यटन राज्य बनना है, तो शिमला, दिल्ली, चंडीगढ़ के बाद अमृतसर तक की उड़ानें अपने संदर्भों में ऊंचे कदमों से नई मंजिलों के निशान खोज रही हैं। पहले गगल हवाई अड्डे ने उत्तर भारत के तेजी से विकसित होती डेस्टिनेशन के रूप में आकाश पर धाक जमाई है, तो इसी के साथ कुल्लू-शिमला से बढ़ रही उड़ानों के कारण भी अब अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की मांग से हिमाचल का नाता जुड़ रहा है। गर्मियां आने तक उम्मीद है कि गगल से पुन: जयपुर, देहरादून और कुछ अन्य उड़ानें भी जुड़ सकती हैं, जबकि हेलि टैक्सी का यात्रा वृतांत भी धीरे-धीरे मंडी के अलावा कुछ अन्य स्थलों को जोडऩे का संकल्प लिए हुए है। सुक्खू सरकार एयर कनेक्टिविटी को लेकर अब तक की सरकारों से कहीं आगे निकलती हुई हेलिपोर्ट बनाने की दिशा में कई कदम ले चुकी है और शीघ्र ही यह संकल्प पालमपुर, रक्कड़, नादौन व कुछ अन्य स्थानों से हेलि टैक्सी का संचालन शुरू कर सकता है। हिमाचल में पर्यटन के हिसाब से कांगड़ा एयरपोर्ट का सपना पूरा करने की दिशा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कुछ आरंभिक निर्णय लिए हैं और बजटीय प्रावधान से वह भू-अधिग्रहण के अंतिम चरण को सार्थक बना रहे हैं। जिस दिन कांगड़ा एयरपोर्ट अपनी लंबाई के उत्तर-दक्षिण छोर को तकरीबन तीन किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी से जोड़ पाया, उस दिन यह प्रदेश पर्यटन की नई जमात में प्रवेश करके असीमित संभावनाओं को आमंत्रित कर पाएगा।

कुछ इसी तरह फोरलेन के निर्माण से हिमाचल का यात्रा वृतांत बदल रहा है और आने वाले दो सालों में पर्यटक अनुभव की कई नई शाखाएं विकसित हो सकती हैं। एयर व सडक़ कनेक्टिविटी के अलावा ऊना के अंब-अंदौरा तक पहुंच रही ‘वंदे भारत’ ट्रेन ने दिल्ली से हिमाचल की यात्रा के नए अनुभव जोड़े हैं। अंब-अंदौरा तक पहुंची ट्रेन का रुख जिस दिन मोड़ कर ज्वालामुखी तक भी जुड़ गया, हमारा धार्मिक पर्यटन, बाइक-ट्रक व टै्रक्टर भ्रमण से कहीं आगे तिरुपति की तरह लाजवाब हो जाएगा। बेहतर तब होगा जब नेता अपनी-अपनी विधानसभा या लोकसभा सीटों के राजनीतिक नक्शे के बजाय प्रदेश की प्राथमिकताओं में ऐसी परियोजनाओं को परिमार्जित करना सीख जाएं। बहरहाल पहली ही उड़ान अमृतसर से शिमला तक 17 यात्री खींच लाई, लेकिन ऐसी उड़ानों को ‘ट्रैवल विद टूरिज्म’ के इंतजाम के साथ जोडऩा होगा। अभी तक बढ़ती उड़ानें या ‘वंदे भारत’ का सफर केवल यात्रियों की पसंद और प्राथमिकता हैं। इन्हें ‘ट्रैवल विद टूरिज्म’ का सहयोगी बनाने के लिए हिमाचल पर्यटन व परिवहन को भी पैकेज टूअर जोडऩे चाहिएं। मसलन ‘वंदे भारत’ के साथ हिमाचल पर्यटन हर आने वाले को अंब-अंदौरा से आगे विभिन्न डेस्टिनेशन तक पहुंचाने, ठहराने व घुमाने का पैकेज जोड़ सकता है। इसी तरह अमृतसर से शिमला की उड़ान भले ही यात्रा को सुखद बना देगी, लेकिन जुब्बड़हट्टी से शिमला पहुंचना सारी मस्ती को गुम कर देगा।

ऐसे में हिमाचल परिवहन या पर्यटन निगम को उड़ानों के हिसाब से भुंतर, कांगड़ा तथा शिमला हवाई अड्डों के लिए बस या टैम्पो सेवाएं चलानी चाहिएं। अंब-अंदौरा स्टेशन से हमीरपुर, बीड़ व धर्मशाला के लिए आरामदायक बस सेवाएं शुरू करके हम लंबी यात्राओं को सरल व सुविधाजनक बना सकते हैं। हिमाचल में ‘टै्रवल विद टूरिज्म’ जैसे प्रयोग के लिए देश के ट्रैवल एजेंट के साथ मिल कर प्रयास करने होंगे ताकि रेल व विमान सेवाओं को आगे के सफर और डेस्टिनेशन तक जोड़ा जा सके। प्रदेश में एचआरटीसी ने कुछ धार्मिक स्थलों की दर्शन सेवा शुरू की है, इसी तरह शिमला, मनाली, धर्मशाला, चंबा-डलहौजी, चंडीगढ़, अमृतसर व अन्य स्थलों से साइट सीइंग बस सेवाओं का संचालन करना चाहिए। कायदे से हिमाचल के आसपास के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों यानी चंडीगढ़, अमृतसर, जयपुर, दिल्ली व जम्मू से पर्यटकों को प्रदेश में लाने के लिए एक योजना की आवश्यकता है। यह हाई एंड टूरिज्म की तरफ एक बड़ी छलांग सिद्ध होगा।


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