दारुल उलूम ने आपत्तिजनक सामग्री वाली पुस्तक हटाई

बरेली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की कार्रवाई के बाद, दारुल उलूम देवबंद ने विवादास्पद पुस्तक बहिश्ती जेवर को अपने पाठ्यक्रम से हटा दिया है. एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि किताब में कुछ अंश बाल यौन अपराध अधिनियम के विपरीत थे.
आयोग अध्यक्ष कानूनगो ने बताया कि मौलाना अशरफ अली थानवी की किताब बहिश्ती ज़ेवर का इस्तेमाल मदरसा दारुल उलूम देवबंद सहारनपुर द्वारा बच्चों को पढ़ाने के लिए किया जा रहा था. इसके अलावा दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट से संबंधित फतवे भी हटा दिए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि मामले की आगे की जांच जारी है.

आवास विकास परिषद की इंदिरा नगर आवासीय योजना में नीलामी के जरिये एक महिला को आवंटित किये गये भूखण्ड की फाइल ही गायब हो गई. वर्ष 1991 में हुई इस नीलामी के बाद पीड़िता का भूखण्ड प्रीमियर कांस्ट्रक्शन कम्पनी के नाम आवंटित कर दिया गया था. पीड़िता की शिकायत पर वर्ष 2020 में गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र के आदेश पर सीबीसीआईडी ने जांच की. जांच में तत्कालीन लेखाधिकारी सुरेश कुमार वर्मा, तत्कालीन संयुक्त आवास आयुक्त सत्येन्द्र सिंह, तत्कालीन सम्पत्ति प्रबन्ध अधिकारी कृपाशंकर मिश्रा और विजय कुमार महरोत्रा को दोषी मानते हुये गाजीपुर कोतवाली में एफआईआर दर्ज करायी गई है. इसमें महिला को भी आरोपी बनाया गया है. आरोपितों में में सुरेश और कृपाशंकर की मौत हो चुकी है. जबकि सत्येन्द्र सिंह शासन में सचिव पद से 2018 और विजय कुमार महरोत्रा सम्पत्ति प्रबन्ध अधिकारी पद से 2014 को रिटायर हो चुके हैं.