परीक्षा तैयारी के नाम पर कोचिंग सेंटरों का हो रहा व्यवसायीकरण

केंद्रीय उपभोक्ता फोरम ने आईएएस परीक्षा की तैयारी कराने वाले दिल्ली के कई कोचिंग सेंटरों को नोटिस जारी किया है और इन सेंटरों पर परीक्षा के नाम पर व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगा है। दरअसल, कोचिंग को कभी अतिरिक्त मदद के रूप में देखा जाता था। जो छात्र किसी कारण से परीक्षा की तैयारी में पिछड़ जाते थे, वे कोचिंग लेकर अपना नुकसान पूरा करते थे, लेकिन जैसे-जैसे शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती गई, परीक्षा तैयारी के नाम पर कोचिंग सेंटरों को व्यावसायिक रंग दे दिया गया। Coaching Centers

एक समय था जब केवल अनुभवी या सेवानिवृत्त शिक्षकों ही कोचिंग या ट्यूशन देते थे। अब कोचिंग सेंटरों के मालिक वे लोग हैं जिनके पास पैसा है और वे केवल व्यवसाय के लिए कोचिंग सेंटर चला रहे हैं और अध्यापकों को कोचिंग देने के लिए सैलरी पर रखते हैं। जब कोई चीज व्यवसाय या उद्योग का रूप ले लेती है लाभ ही एकमात्र उद्देश्य रह जाता है। इन परिस्थितियों में मिशन खत्म हो जाता है, बस कमीशन ही रह जाता है। आज के दौर में कोचिंग के हालात यह है कि कोचिंग सेंटरों के प्रचार-प्रसार की होड़ इस कद्र बढ़ गई है कि जैसे कंपनियां किसी उत्पाद को बेचने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाती हैं।
विज्ञापन के तरीके भी ऐसे हो गए हैं कि किसी कोचिंग सेंटर में दाखिला लेना बड़ी सफलता मानी जाती है। कोचिंग सेंटरों की भारी भरकम फीस ने समाज में असमानता की भावना पैदा कर दी है। विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। इस चलन का सबसे बुरा प्रभाव विद्यार्थियों पर मानसिकता पर पड़ रहा है। कोचिंग सेंटरों में शिक्षा के ज्यादा दबाव के कारण छात्र आत्महत्या भी कर चुके हैं। कोटा शहर इसका उदाहरण है जहां एक माह में करीब दो दर्जन छात्रों ने आत्महत्या कर ली।
वास्तव में कोचिंग सेंटर शिक्षा और रोजगार के बीच संबंध को बढ़ावा देकर शिक्षा को धुंधला कर रहे हैं। शिक्षा का संबंध रोजगार से तो है लेकिन यह व्यवसाय नहीं। शिक्षा का उद्देश्य केवल पैसा कमाना नहीं बल्कि व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करना है। शिक्षा मनुष्य को मानवता का पाठ पढ़ाती है। यदि कोई आईएएस या आईपीएस नहीं बन सका तो उसका जीवन लक्ष्यहीन नहीं हो जाता। विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को भी कोचिंग सेंटरों के जाल के प्रति सतर्क रहना होगा।
सोर्स: सच कहूं