पीएमजीएसवाई के 666 करोड़ के ग्लोबल टेंडर, ठेकेदारों को बड़ा झटका

शिमला। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में हिमाचली ठेकेदारों को बड़ा झटका लग सकता है। पीडब्ल्यूडी ने प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत 666 किलोमीटर सडक़ के ग्लोबल टेंडर का फैसला किया है। एक किलोमीटर प्रति करोड़ के हिसाब से सडक़ का निर्माण होगा। इसमें प्रदेश के बाहर की फर्में आवेदन कर सकती है और इन आवेदनों के आधार पर उन्हें पीएमजीएसवाई में टेंडर मिल जाएंगे और प्रदेश के ठेकेदारों को दौड़ से बाहर होना पड़ेगा। दरअसल, पीडब्ल्यूडी ने फुल डेप्थ रेक्लेमेशन (एफडीआर) के आधार पर बनने वाली 666 किलोमीटर सडक़ों के टेंडर प्रक्रिया में बड़ा बदलाव कर दिया है। विभाग ने इस तकनीक के तहत जो नियम तय किए है, उन्हें हिमाचल का कोई भी ठेकेदार पूरा नहीं करता है। विभाग ने एफडीआर तकनीक में इस्तेमाल होने वाली मशीन का होना अनिवार्य कर दिया है। यह मशीन करीब 12 करोड़ रुपए की है और हिमाचल में किसी भी ठेकेदार के पास नहीं है। इसके साथ ही दूसरी शर्त 50 किलोमीटर तक एफडीआर तकनीक से सडक़ बनाने का अनुभव भी शर्त में शामिल किया है। इन दोनों शर्तों की वजह से हिमाचल के सभी ठेकेदार टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गए है।

हालांकि एक अवसर जरूर विभाग की तरफ से खुला छोड़ा गया है कि प्रदेश के ठेकेदार ज्वाइंट बेंचर बनाकर दूसरे राज्यों में एफडीआर से काम कर रही फर्मों के साथ मिलकर प्रदेश में टेंडर ले सकते है, लेकिन यह प्रक्रिया आसान नहीं होगी। फुल डेप्थ रेक्लेमेशन जर्मन तकनीक है। सडक़ों की सतह उखाडऩे के बाद उसी मलबे से नई सडक़ तैयार की जाती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से प्रदूषण कम होता है। इससे पहले उत्तर प्रदेश में एफडीआर तकनीक की शुरुआत हुई थी और इसके बाद बिहार और असम में इसका इस्तेमाल सडक़ों के निर्माण में हुआ है। अब पीएमजीएसवाई चरण तीन में पूर्व में बनाई सडक़ों के जीर्णोंद्धार का काम होना है। प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि हिमाचल में कोई भी फर्म ऐसी नहीं है, जिसके पास यह मशीन हो। उन्होंने कहा कि कोई फर्म मशीन खरीद भी लेती है, तो उसे 50 किलोमीटर सडक़ बनाने का अनुभव दिखाना होगा और इस शर्त के साथ ही हिमाचल के सभी ठेकेदार खुद ही बाहर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि ज्वाइंट बेंचर के माध्यम से प्रदेश के ठेकेदार काम कर सकते है, लेकिन इसके लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और असम में काम कर रही कंपनियों से उन्हें संपर्क साधना होगा। हिमाचल में उत्तर प्रदेश के मॉडल के आधार पर एफडीआर सडक़ों का निर्माण होगा। एफडीआर तकनीक में ग्लोबल टेंडर ही किए जाएंगे। हिमाचल के ठेकेदारों के लिए करीब दो हजार किलोमीटर का निर्माण बच रहा है वे इससे काम चला सकते है।

 


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