शहर में बढ़ा अपराध, मादक पदार्थों की नहीं रुक रही तस्करी

बाड़मेर। बाड़मेर अपराधी अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं और पुलिस के पास बाबा आदम के जमाने के हथियार हैं। इसलिए पुलिस की ओर से अपराध व मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। वहीं पुलिस को आवश्यक संसाधनों के अभाव में अपराधियों को पकड़ने में सफलता नहीं मिल रही है। पुलिस की कई चौकियों का महत्व पुलिस थानों के समानांतर हैं, बावजूद इसके वहां पर हथियार के नाम डंडा-लाठी व वाहन के नाम पर केवल मोटरसाइकिल है। इन हालात में पुलिस चौकियों में तैनात पुलिसकर्मियों को बदमाशों को पकड़ने व नाकाबंदी में वाहनों की जांच में स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बालोतरा जिले में 10 पुलिस थानों के अधीन स्थाई व अस्थाई 11 पुलिस चौकियां हैं। ये सभी चौकियां राजमार्गों व महत्वपूर्ण स्थानों पर हैं। जिले में राष्ट्रीय, राज्य राजमार्गों व धार्मिक स्थानों पर पुलिस चौकियां हैं।
कई पुलिस चौकियों में प्रभारी उप निरीक्षक तो कई चौकियों में हैड कांस्टेबल ही हैं। सिवाना थाने के मोकलसर, पादरू, समदड़ी थाने की अजीत, सांवरड़ा, पचपदरा थाने की रिफाइनरी, दूदवा, सिणधरी पुलिस थाने की पायला कलां, गिड़ा थाने की केसुंबला पुलिस चौकियां महत्वपूर्ण हैं। अक्सर इन मार्गों से डोडा पोस्त, अवैध शराब तस्करों व बदमाशों की आवाजाही रहती है। ऐसी स्थिति में पुलिस चौकियों में हथियारों व वाहनों की उपलब्धता आवश्यक है। पुलिस थानों में पुलिसकर्मियों के लिए रिवॉल्वर व एसएलआर समेत कई हथियार हैं। पुलिस को पुलिस थानों से नाकाबंदी, गश्त व अन्य कार्रवाई में जाने वालों को आवश्यक रूप से हथियार ले जाने के आदेश हैं और उन्हें ले जाने के लिए हथियार भी मिल जाते हैं। जबकि पुलिस चौकी में हथियार नहीं होने से पुलिसकर्मियों को डंडे के सहारे नाकाबंदी, गश्त व अन्य कार्रवाई करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में कई बार पुलिसकर्मियों को बदमाशों के पास हथियार देख कर पीछे खिसकना पड़ता है। पुलिस चौकियों में हथियार नहीं हैं। ए श्रेणी की नाकाबंदी के दौरान पुलिसकर्मियों के पास हथियार होना जरूरी हैं। हथियार पुलिस थाने में ही उपलब्ध होते हैं।
