दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा कैसे करे

मां लक्ष्मी : दिवाली का त्योहार देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने और आपके घर को सुख-समृद्धि से भरने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब देवी लक्ष्मी की पूजा पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से की जाती है तो वह अवश्य प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। तो जानिये मां लक्ष्मी की पूजा कैसे करे :

पूजा की तैयारी
घर की सफाई करके लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी में दीवारों को रंग कर लक्ष्मीजी का चित्र बनाएं। संध्या के समय विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं। लक्ष्मीजी के चित्र के सामने एक चौकी रखें। इसे मोली बांधें। इस पर मिट्टी के गणेशजी स्थापित करें। उसे रोली लगाएं। दो सामान्य दीपक और छह चौमुखे दीपक बनाएं तथा 26 छोटे दीपक रखें। इनमें तेल तथा बत्ती डालकर धूप आदि सहित पूजा करें। पूजा पहले पुरुष करें बाद में स्त्रियां। पूजा करने के बाद एक एक दीपक घर के कोनों पर जलाकर रखें। एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजन करें। अपनी इच्छानुसार घर की बहुओं को रुपए दें। लक्ष्मी पूजन रात के समय बारह बजे करना चाहिए। इस समय एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेश जी की जोड़ी रखें। समीप ही रुपए, सवासेर चावल, गुड़, केले, मूली, हरी ग्वार फली तथा पांच लड्डू रखकर सारी सामग्री सहित लक्ष्मी गणेश का पूजन करके लड्डुओं से भोग लगाओ। दीपकों का काजल सब स्त्री पुरुषों की आंखों में लगाना चाहिए। रात्रि जागरण करके गोपालसहस्त्र का पाठ करना चाहिए। इस दिन घर में बिल्ली आए तो उसे भगाना नहीं चाहिए। बड़ों के चरणों की वंदना करनी चाहिए। दुकान गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरांत चूने अथवा गेरु में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल्ल, लोढ़ा तथा छाज (सूप) का तिलक काढ़ना चाहिए। दूसरे दिन चार बजे प्रातःकाल उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर कूड़े को दूर फेंकने के लिए ले जाते हुए कहते जाओ− लक्ष्मी आओ, दरिद्र जाओ। इसके बाद लक्ष्मी जी कथा सुनो।
पूजन विधि
आचमन प्राणायाम करके संकल्प के अंत में− स्थिरलक्ष्मीप्राप्त्र्यथं श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्र्यथं सर्वारिष्टनिवृत्तिपूर्वकसर्वाभीष्टफलप्राप्त्र्यथम् आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धर्यथं व्यापारे लाभार्थं च गणपति नवग्रह कलशादि पूजनपूर्वकं श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती लेखनी कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये कहकर जल छोड़ें। इसके बाद गणपति, कलश और नवग्रह आदि का पूवोक्त विधि से पूजन करके महालक्ष्मी का पूजन करें।
आवाह्न− सर्वलोकस्य जननीं शूलहस्तां त्रिलोचनाम।
सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहम।
महालक्ष्म्ये नमः, आवाहयामि।
आसन− तप्त्कांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगुह्यताम।
आसनं समर्पयामि।
बही, वसना आदि में केशर या रोली से स्वास्तिक बनाकर नीचे लिखा ध्यान कर पूजन करें−
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाडयापहा।
ओम वीणापुस्तकधारिण्ये नमः से पूजन कर प्रार्थना करें।
शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधं सनधिंक्रियात।।
कुबेर पूजन
संदूक आदि में सिंदूर से स्वस्तिक बनाकर आवाहन करके पूजन करें−
आवाहयामि देव त्वमिहायाहि कृपां कुरु।
कोशं वर्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।।
प्रार्थना− धनाध्यक्षाय देवाय नरानोपवेशिने।
नमस्ते राजराजाय कुबेराय महात्मने।।