छत्तीसगढ़ी भाषा में इस वैश्विक समस्या के बारे में जानिए

रायपुर। आज सबो मनखे मन एक बड़भारी समस्या ले हलाकान हे वो बिस्फुटक समस्या के नांव आय “कान में जुंआ नइ रेंगई के ” आदमी अतेक परेशान अउ हलाकान हे कि येखर नांव ले पलायनवाद नांव के वाद हा अबक तबक जनम होय ले धरथे। कान मा जुंवा नई रेंगे के समस्या व्यक्तिगत ,पारिवारिक समस्या तक सीमित नइ हे। ये समस्या हा ग्लोबल इश्यू बनगे हे। परिवार हा ये समस्या ले आदिकाल ले जूझत हावय। फेर येखर प्रॉपरली साल्यूशन  होय मा पता नही अउ कतेक युग पहा जाही? तभे तो मंदोदरी हा रावण ला कतको समझाइस फेर ओखर कान मा जुंवा का लीख तको नई रेंगीस। वइसने दुर्योधन के कान में थोरको जुंवा नई रेंगीस।जुंवा रेंगई के उपेक्षा ले महाभारत युद्ध हा तो जब्बर उदाहरण हावय।

आज के मॉडर्न युग स्पेशली डेमोक्रेटिक सिस्टम  मा कोन्हों ला टिकट नई मिले ले नेता दलबदल करके आने दल मा सामिल होके टिकट जुगाड़ करत चुनाव मा खड़े होके जेखर कान मा जुंआ नई रेंगे राहय ते हाईकमान अउ नेता ले जमगरहा बदला लेथे। पानी पी पी के उंखर सबो पोल पट्टी ला खोल देथें कि कब कोन कोन ला कतेक दिस लिस हे।अपन भले नई जितही फेर जुन्ना पार्टी के उम्मीदवार ला घलो नइ जीतन देवय।

घर गिरस्थी मा कान में जुंआ नइ रेंगे ले जभू तभू कोपभवन अपन प्रासांगिकता अउ उपादेयता ला डगडग ले साबित करथे। धनतेरस के दिन  बिहने बिहनिया अंगना लीपे के बेरा ले मंझनिया होत ले श्रीमती हा एके ठिन गाना ” सोना नई माँगव मैहा चांदी नई माँगव मैहा ,बांह भर चूड़ी मैहा माँगव” ला गा-गा के मोर कान मा जुंवा रेंगाय के असफल प्रयास करत रहीस।ओखर निहितार्थ ला मैं पाछू बरस ले जानत हंव कि धान बोनस के मिले रुपिया ले रानी हार के फरमाईस घेरी -बेरी होय हे। अईसन सांकेतिक पूर्ण जुंवा रेंगई मा नारी परानी अउ स्पेशली गृह लक्ष्मी मन बड़ निपुण होथे। पति पत्नी के बीच जुंवा नइ रेंगे के समस्या ला अति चैतन्यशील सजग प्राणी मन बड़ सिरियसली ऑब्जर्वेशन करत रहिथे कि इंखर बीच कब पलायनवाद के छट्ठी बरही होय अउ अपन इमोशन के दवई बूटी प्रयोग कर सकंय। ये एरिया मा नर लागे न नारी सबो मन बॉल देख के चौंका छक्का मारे मा पछवाय नई राहय।

येहा अईसन एरिया आय जिंहा मनोविज्ञान शास्त्र  ले निपुण मनखे हा सुसकत माई  लोगिन के आंसू पोछे बर 108 मोड कस एवरीटाइम रेडी रहिथे।  पारा मोहल्ला के अईसन नेचर के मनखे बीच बड़ नूराकश्ती अउ कॉम्पिटीशन रहिथे कि कोन हा पहिली आंसू पोंछे के बहाना अपन एकमेव लक्ष्य ला पूरा कर सकंय।

उहिचे सूर्पनखा देवी के मान गउँन करईया स्लिम फ़ीट मोटियारी बेलबेलही मन के भाग जाग जाय रहिथे। वहू मन आपदा मा अवसर ला बिलई ताके कस खोजत देखत रहिथे। कवि सम्मेलन मा घलो जेन कवि ला काव्य पाठ बर आघू आमंत्रित करे जाथे।जादातर चुटकुला बाजी मसखरी करे मा समे ला पहावत रहिथें । चुटकुला के सबो कोटा ला उरकाय बाद ये देखे गे कि बड़ अकन रचना ला पढ़े जावत रहिथें। श्रोता मन कतको जम्हाय उँघाय थोरको जुंवा नइ रेंगे।ये समस्या के समाधान बर,हरियर, लाल,पिंवरी बल्ब के उपयोग स्ट्रिक्टली होना चाही।
आज के युग मा तो बड़का अफसर ले छुट्टी  के अर्जी स्वीकार करवाय बर, मेडिकल यात्रा बिल,प्रविडेंट फंड के पइसा निकलइ , बाबू मन कर ले राशन कार्ड,निवास,जाति, स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड जइसन काम मा जुंआ रेंगई के गजब महत्तम हे।

कान मा जुंवा नई रेंगे के कारन व्यक्तिगत, समस्या, घर के समस्या, पारिवारिक समस्या,पारा मोहल्ला के समस्या ,गांव के,समाज के समस्या होवत होवत धीरे धीरे इहि हा अंतरराष्ट्रीय समस्या ला तको जनम देथे। रूस यूक्रेन, इजरायल फिलिस्तीन  के जर मा घलो जुंवा नई रेंगई हा हावय। अंतरराष्ट्रीय संगठन कतको घांव अपील करके हार गे फेर उहि बात कान मा जुंवा ….कतको बेटा बाप के नई सुनय ,भाई हा भाई के नई सुनय, नेता मन न अधिकारी मन के सुनय अउ न कार्यकर्ता मन के सुनय। चुनाव के समे सबो अरेजमेंट के बाद घलो  येमन निबटा देथें ।

ये समस्या अतेक गंभीर हे कि येखर बर संवाद परिसंवाद, परिचर्चा, सेमिनार,वेबिनार, शोध आलेख तैयार होना जरूरी हे। नवा जनरेशन मन ला ये विषय मा पी एच डी करना चाही। अध्ययन मनन चिंतन के जरूरत हे कि जुंवा काबर नई रेंगे?  बने पूरा प्रक्रिया के संग जुंआ के जनम  होना चाही।जुंवा के जनम बने पालन पोषन अउ संस्कारित करे के सबले पहिली जरूरत हे । इंहा तो जुंवा के जनम होय के पहिली ही भ्रूण हत्या करे के सोचे समझे उदिम मा सबो लगे हें आनी बानी के शेम्पो , क्रीम,लोशन अउ न जाने काय काय प्रोडक्ट बनय हे, जेखर ले जुंवा के समूल नाश बर इंटीग्रेटेड प्रयास होवत हे। भेड़ बकरी चरवईया एक झन चरवाहा ला अंतरराष्ट्रीय साजिश के बदबू आइस  वो जुंआ हा तत्कालीक सरकार के कान मा रेंगीस। कारगिल युद्ध ला लोगन कभू नई भुलाय हें। हमन लाहौर बस यात्रा मा भुलाय रहेन अउ उंखर साजिश के जुंवा कान नई रेंगत रिहिस ।

आज चुनाव जीते बर फोकट बांटे बर अघुवाय दल मन सत्ता पाय के बाद देस राज ला कइसे चलाही ? महंगाई,बेकारी,भूखमरी, विसंगति भरे आरक्षण ,धर्म निरपेक्षता, जइसन जुंवा रेंगई ला बने समझे के जरूरत हावे। लोकतांत्रिक बेवस्था मा जुंवा रेंगई ला जउन जतका धियान दिही उही मन जनता के मन मा राज करहीं। एक ठन बात अउ हावय कि जुंवा के स्वतंत्रता “जुंवा अधिकार ” के हनन कभू झन होय ।येखर बर मुड़ी मा कोन्हों किसम के टोपी लगाय बर बैन होना चाही।जब तक मुड़ी मा पद पदवी के टोपी ताज रहि समस्या वैश्विक बने रहि।

                       रोशन साहू (मोखला) राजनांदगांव वाले 


R.O. No.12702/2
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