ब्रह्म मुहूर्त और हम

हमारे देश की संस्कृति में सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में जागने की परंपरा है। ब्रह्म मुहूर्त में जागने के बहुत गुण गाए जाते हैं। देश-विदेश के सफलतम लोगों का भी यही कहना है कि सुबह-सवेरे उठने की एक अकेली आदत ने उनके जीवन में क्रांति ला दी है। एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कोच ने तो फाइव ए. एम क्लब से अपने ग्राहकों की एक पूरी कम्युनिटी ही बना ली है। बहुत से अन्य बिजनेस व लाइफ कोच भी इसी विचार का प्रतिपादन करते हैं। मुझसे बार-बार पूछा जाता है कि इतनी सवेरे उठकर हम क्या नया कर लेंगे? आखिर हम करेंगे तो वही जो दिन भर करते हैं। सात से आठ घंटे की नींद भी शरीर के लिए बहुत जरूरी है। काम समाप्त होते न होते अक्सर रात के ग्यारह तो बज ही जाते हैं और अगर उसके बाद आठ घंटे की नींद लेनी हो तो सवेरे के सात बजे से पहले कैसे उठेंगे? फिर ब्रह्म मुहूर्त की प्रासंगिकता कैसे रहेगी? यह सवाल जायज भी है और तर्कपूर्ण भी। दरअसल, ब्रह्म मुहूर्त में जागने की बात करने वालों की तो कमी नहीं है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में जागने के लाभों का खुलासा कोई नहीं करता, इसलिए जो लोग किसी आध्यात्मिक संस्था से जुड़े हुए नहीं हैं, उनमें से अधिकांश लोग तो इतनी जल्दी उठने की बात सोचना भी गंवारा नहीं करते, उठने की तो बात ही अलग है। ब्रह्म मुहूर्त से पहले नित्य कर्म से निवृत्त होकर और नहा-धोकर तैयार हो जाना प्रोडक्टिविटी के लिए तो लाभदायक माना ही गया है, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हमारी संस्कृति में जिसे ब्रह्म मुहूर्त या अमृत वेला कहा गया है, वह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी तो है ही, आध्यात्मिकता की राह पर चलना चाहने वाले लोगों के लिए तो जीवन का हिस्सा ही है। यह हैरानी की बात नहीं है कि विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि सूरज उगने से लगभग डेढ़ घंटा पहले पूरा ब्रह्मांड एक नई ऊर्जा से भर जाता है।

यह एक तरह का शक्तिपात है, जीवन में नई शक्ति घुल जाने का समय है जिससे हर जीव में नई ताकत, नई शक्ति, नई चेतना का उदय होता है। सूरज उगने से लगभग आधा घंटा पहले शक्ति का एक और सोता फूट पड़ता है पूरे ब्रह्मांड पर, और इसमें हर जीव प्रभावित होता है। सूरज उगने से पहले के इस शक्तिपात के समय अगर हम तैयार हों तो प्रकृति की इस ऊर्जा का पूरा लाभ ले सकते हैं। यह एक रासायनिक प्रक्रिया है, केमिकल प्रोसेस है। ब्रह्म मुहूर्त के इस समय में खून पतला हो जाता है। शरीर में बनने वाले केमिकल सीक्रीशन्स, यानी रासायनिक स्राव नई ऊर्जा से भर जाते हैं और सारे शरीर में फैल कर एक-एक तंतु को नई ताकत से सराबोर कर देते हैं। हम इन रासायनिक प्रक्रियाओं से इस हद तक प्रभावित होते हैं कि हमारे मन और शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं और इनके हिसाब से ही हमारा मूड भी बदलता है। सोते समय हमारा शरीर पिछले दिन के भोजन को पचाता है और गंदगी को अलग कर देता है। वह गंदगी मल-मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाए, इसके लिए हमारा तंत्रिका-तंत्र कई तरह की गैसें बनाता है जो इस गंदगी को तब शरीर से बाहर धकेलती हैं जब हम संडास में बैठे होते हैं। दोनों बार के शक्तिपात के समय अगर हम सोए हुए हों, या अभी हमने शरीर की इस गंदगी से छुटकारा न पाया हो तो हमें शक्तिपात का पूरा लाभ नहीं मिलता। ऊर्जा आधी-अधूरी रह जाती है। इसलिए सवेरे उठकर नहा-धोकर तैयार हो जाना हमारी रुटीन बन जाना चाहिए। शक्ति के इस अनमोल स्रोत का फायदा उठाने वाले लोगों के जीवन में तो मानो क्रांति ही आ जाती है। सोचने-समझने की शक्ति तेज हो जाती है, कई समस्याओं का हल खुद-ब-खुद सूझने लगता है, याद्दाश्त तेज हो जाती है और फोकस बढ़ जाता है।
इस समय जागने वाले लोग अभी भी विरले ही हैं जिसका लाभ यह है कि जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में जाग जाते हैं वे इस समय का उपयोग ज्यादा अच्छी तरह कर सकते हैं क्योंकि इस समय कोई डिस्टर्बैंस या डिस्ट्रैक्शन नहीं होती, ध्यान बंट जाने का कोई कारण नहीं होता, अत: हम पूरे फोकस के साथ अपना काम निपटा सकते हैं। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सैर कर सकते हैं, व्यायाम कर सकते हैं, अपने दिन के कामकाज की योजना बना सकते हैं। इस समय दिन भर के कामकाज की योजना बनाने का लाभ यह है कि फोकस पूरा होने के कारण हम कुछ भूलते नहीं और दिन शुरू होने से पहले ही हमें पता होता है कि हमारी जरूरतें क्या हैं। अर्जेंट और इंपार्टेंट कामों का सही-सही वर्गीकरण हो जाता है और हमारी उत्पादकता कई गुना बढ़ जाती है। अब सवाल यह आता है कि अगर हमें अपना काम खत्म करते न करते रात के ग्यारह बज जाएं तो क्या करें? काम से वापस लौटने के बाद परिवार के साथ समय बिताना, थोड़ा आराम करना, कुछ मनोरंजन करना, कुछ व्यायाम करना, रात का भोजन लेना आदि भी आवश्यक है। एकल परिवारों में तो यह और भी आवश्यक है और जहां पति-पत्नी दोनों कामकाजी हों, वहां तो समय की समस्या सचमुच बहुत बड़ी है। कामकाज से थक कर आने के बाद बच्चों के साथ समय बिताना, उनकी पढ़ाई पर ध्यान देना, घर के बाकी काम निपटाना आदि रोजाना की समस्याएं हैं। इनसे बचना संभव नहीं है। ऐसे में समय है कहां कि हम पूरा आराम भी न कर सकें और ब्रह्म मुहूर्त में उठने के नियम का भी पालन कर सकें? अनुभव यह बताता है कि हम जैसी चाहें वैसी रुटीन बना सकते हैं।
हम चाहें तो अपने सारे काम निपटाकर समय पर रात का भोजन ले लें और समय पर सो जाएं, नींद पूरी करें और ब्रह्म मुहूर्त के नियम का पालन करते हुए सुबह सवेरे उठ भी जाएं। यह सिर्फ एक आदत की बात है। अंतर कुछ भी नहीं है, जो काम रात को नहीं निपटाए जा सके थे, वो सुबह-सवेरे भी निपटाए जा सकते हैं, बेहतर तरीके से निपटाए जा सकते हैं। कुछ लोग हमेशा हर जगह देर से ही पहुंचते हैं और कुछ लोग हमेशा समय पर पहुंच जाते हैं। दोनों तरह के लोग समान रूप से व्यस्त हो सकते हैं। यह सिर्फ एक आदत की बात है कि हम समय पर पहुंचें या देर से। शाम को जल्दी भोजन कर लेना और समय पर सो जाना सिर्फ एक बार रुटीन बनाने की बात है, फिर बाकी सब खुद-ब-खुद होता चलता है, पर ब्रह्म मुहूर्त की शक्तिपात का लाभ अगर छोड़ दिया तो उसका कोई विकल्प नहीं है। अत: यह हमारे अपने फायदे में है कि हम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखें और पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त रहकर अपनी दिन भर की जिम्मेदारियां भी ठीक से निपटाएं।
पीके खु्रराना
हैपीनेस गुरु, गिन्नीज विश्व रिकार्ड विजेता
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By: divyahimachal