ISRO ने विक्रम लैंडर की भेजी रंगीन तस्वीर, ट्वीट पर दी जानकारी

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की थ्रीडी तस्वीर जारी की है. साथ ही कहा है कि इसे देखने का असली मजा थ्रीडी चश्मे से देखने पर आएगा. वह भी रेड और सयान 3डी ग्लास से. असल में यह तस्वीर प्रज्ञान रोवर ने कुछ दिन पहले लैंडर से 15 मीटर दूर यानी करीब 40 फीट की दूरी से क्लिक की थी. इसरो ने विक्रम लैंडर के आसपास की सतह के डायमेंशन को स्टीरियो और मल्टी-व्यू इमेज के तौर पर जारी किया है. इसे इसरो एनगलिफ कह रहा है. इस फोटो को प्रज्ञान रोवर के नैवकैम ने लिया था. जिसे बाद में नैवकैम स्टीरियो में बदल दिया गया.
यह 3-चैनल वाली तस्वीर है. यह असल में दो तस्वीरों का मिश्रण है. एक तस्वीर रेड चैनल पर थी. दूसरी ब्लू और ग्रीन चैनल पर थी. दोनों को मिलाकर बनाने से यह तस्वीर बनकर सामने आई. इसकी वजह से देखने वाले को विक्रम लैंडर थ्रीडी में दिखेगा. यानी आपको ऐसा लगेगा कि आप चांद पर खड़े होकर विक्रम को देख रहे हों. यहां दिखाई गई तस्वीर में अगर आप क्लॉकवाइज यानी घड़ी के घूमने की दिशा में चलें तो सबसे पहले दिख रहा है सोलर पैनल. यानी ये सूरज की गर्मी से ऊर्जा लेकर रोवर को देगा. उसके ठीक नीचे दिख रहा सोलर पैनल हिंज. यानी जो सोलर पैनल को रोवर से जोड़कर रखता है. इसके बाद है नेव कैमरा यानी नेविगेशन कैमरा. ये दो हैं. ये रास्ता देखने और चलने के लिए दिशा तय करने में मदद करते हैं. इसका चेसिस दिख रहा है. सोलर पैनल के नीचे आने पर उसे संभालने वाला सोलर पैनल होल्ड डाउन है.
नीचे छह व्हील ड्राइव असेंबली है. यानी पहिए लगे हैं. इसके अलावा रॉकर बोगी है. जो पहियों को ऊबड़-खाबड़ जमीन पर चलने के लिए मदद करते हैं. इसके अलावा रोवर के निचले हिस्से में रोवर होल्ड डाउन लगा है. अगर रोवर चल नहीं रहा होता तो वह जमीन से जुड़कर एक जगह टिका रहेगा. ताकि भविष्य में उसे उठाया जा सके. इसके अलावा इसके बगल में लगा है वार्म इलेक्ट्रॉनिक्स बॉक्स यानी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जो गर्म माहौल में बेहतर तरीके से काम कर सकें. रोवर को दिए गए इंस्ट्रक्शन के हिसाब से चलाते रहें. फिर है डिफ्रेंशियल्स यानी हर यंत्र और हिस्से को अलग रखने के लिए बनाई गई दीवार. ऊपर है एंटीना, जो लैंडर के साथ संपर्क साधने में मदद करते हैं. Chandrayaan-3 का रोवर का कुल वजन 26 किलोग्राम है. यह तीन फीट लंबा, 2.5 फीट चौड़ा और 2.8 फीट ऊंचा है. यह छह पहियों पर चलता है. कम से कम 500 मीटर यानी 1600 फीट तक चांद की सतह पर जा सकता है. इसकी स्पीड 1 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड हैं. यह अगले 13 दिनों तक चांद की सतह पर तब तक काम करता रहेगा, जब तक इसे सूरज की रोशनी से ऊर्जा मिलती रहेगी.


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