‘वारिस’ व ‘लावा’ जैसी फिल्में बनाने वाले राइटर-डायरेक्टर रवींद्र पीपट का निधन, राज बब्बर ने यूं जताई अपनी भावनाएं

फिल्म इंडस्ट्री से एक बार फिर दुखद खबर सामने आ रही है। हिंदी सिनेमा के मशहूर लेखक और निर्देशक रवींद्र पीपट का शनिवार (14 अक्टूबर) को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रिपोर्ट्स की माने तो रवींद्र कैंसर से पीड़ित थे और दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार ओशिवारा श्मशान घाट पर कर दिया गया है। रवींद्र ने फिल्मों का लेखन करने के साथ डायरेक्शन भी किया है।

रवींद्र को असल पहचान साल 1988 में आई उनकी पहली निर्देशित फिल्म ‘वारिस’ से मिली थी। इसमें राज बब्बर, स्मिता पाटिल, राज किरण, अमृता सिंह और अमरीश पुरी मुख्य भूमिका में थे। रवींद्र ने डिंपल कपाड़िया, राज बब्बर, राजीव कपूर की फिल्म ‘लावा’ का डायरेक्शन भी किया था। 1989 में उनकी फिल्म ‘लाल दुपट्टा मलमल का’ भी आई थी।
इस फिल्म के गाने काफी पसंद किए गए थे। रवींद्र ने शशि कपूर-मंदाकिनी की ‘हम तो चले परदेस’, भाग्यश्री की ‘कैद में है बुलबुल’, ‘काश आप हमारे होते’ फिल्म का भी निर्देशन किया। रवींद्र ने पंजाबी फिल्म ‘अपनी बोली अपना देस’, ‘पंजाबी प्रेम नाटक’, ‘पता नहीं रब्ब कहदेयां रंगन च राजी’ और साल 2013 में आई ‘पंजाब बोल्डा’ को भी डायरेक्ट किया था।
राज बब्बर की बेटी जूही की पहली फिल्म के डायरेक्टर भी थे रवींद्र पीपट
रवींद्र पीपट के निधन से बॉलीवुड इंडस्ट्री को गहरा झटका लगा है। उनके निधन की खबर पर इंडस्ट्री के लोग शोक जता रहे हैं। 71 वर्षीय एक्टर राज बब्बर ने अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट से लिखा, “मेरे मित्र रवींद्र पीपट एक प्रतिभाशाली फिल्म निर्माता थे, जिनकी संवेदनशील पटकथा और आकर्षक छवियां फिल्मों को सौंदर्यपूर्ण और आनंददायक बनाती थीं। FTII में और प्रतिष्ठित आरके बैनर से प्रशिक्षित रवींद्र की कक्षा ने मुझे हमेशा मंत्रमुग्ध कर दिया।
‘चन्न परदेसी’ और ‘लॉन्ग दा लिश्कारा’ से शुरुआत करते हुए, जिसके लिए उन्होंने पटकथा लिखी – बेहद सफल ‘वारिस’ तक – जिसके लिए पटकथा और निर्देशन किया, हमने कई परियोजनाओं के लिए एक साथ काम किया। समय के साथ रवींद्र में मेरा विश्वास बढ़ता गया और मुझे याद है कि मैंने उन्हें बेटी जूही की पहली फिल्म ‘काश आप हमारे होते’ की जिम्मेदारी सौंपी थी – जिसे उन्होंने बहुत शानदार ढंग से निभाया था।
वह आज हमें छोड़कर अपने स्वर्गीय निवास के लिए चले गए। उनके जाने से न केवल मैंने एक पुराना और प्रिय मित्र खो दिया है, बल्कि भारतीय सिनेमा ने भी एक उत्कृष्ट फिल्म निर्माता खो दिया है। अच्छे से यात्रा करो मेरे दोस्त – तुम हमेशा याद आओगे।”