नदी-नालों अथवा झरनों में कूड़े-कचरे की डंपिंग पर तत्काल प्रभाव से लगे रोक: हाईकोर्ट

शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य भर में नदी-नालों अथवा झरनों में कूड़े-कचरे की डंपिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने प्रदेश के सभी नगर निकायों और ग्रामीण स्थानीय निकायों के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन आदेशों की अनुपालना की जिम्मेदारी दी है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने विभिन्न जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि केंदडूवाल ठोस कचरा निष्पादन संयंत्र बद्दी जिला सोलन की स्थापना के लिए 36 पूर्व निर्धारित शर्तों की अनुपालना जरूरी है परंतु आज तक एक भी शर्त की अनुपालना नहीं की गई है। इसलिए कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण अभियंता के साथ पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधि वैज्ञानिक विशेषकर डाॅ. भावना सिंह के साथ मिलकर उक्त संयंत्र का निरीक्षण 19 अक्तूबर को करे और जरूरत पड़ने पर इसके बाद भी निरीक्षण कर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए।

कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों की अक्षरश: अनुपालना के आदेश भी दिए हैं जिसके तहत कस्बों में गीले और सूखे कूड़े का उचित पृथक्करण और कचरे का संग्रह सुनिश्चित करने और सप्ताह में कम से कम 3 बार कचरा इकट्ठा करने को कहा गया था। कोर्ट ने रोजाना कूड़ा एकत्रित करने वाले स्थानों में प्रतिदिन कूड़ा उठाने की व्यवस्था जारी रखने के आदेश भी दिए हैं। कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मियों को आदेश दिए थे कि वे ठोस और गीले कचरे को अलग-अलग एकत्र करें और निर्दिष्ट वाहनों को लगाकर अलग-अलग ठिकाने तक पहुंचाएं। सभी नगरपालिका अधिकारियों को आदेशों का पालन करने के लिए अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया गया था।
कोर्ट ने अपने आदेशों की अनुपालना की जिम्मेदारी संबंधित आयुक्तों, नगर निगमों के सचिवों, नगर पालिका परिषदों के कार्यपालक अधिकारियों एवं नगर पंचायतों के सचिवों पर डाली थी। उक्त अधिकारियों को कोर्ट के इन आदेशों के क्रियान्वयन के संबंध में अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र मामले की अगली सुनवाई तक दाखिल करने को भी कहा गया था।कोर्ट को बताया गया था कि नगर निगम ने कूड़े-कचरे की समस्या की शिकायत के लिए टोल फ्री नम्बर जारी किया है, जिस पर कोर्ट ने नगर निगम को प्रिंट, समाचार और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों के माध्यम से टोल फ्री नंबर 9805201916 का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने पाया था कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों के लिए चयनित कूड़ा निस्तारण साइटों को एफसीए अप्रूवल का इंतजार है इसलिए कोर्ट ने क्षेत्रीय कार्यालय, पर्यावरण वन संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार को प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को बिलासपुर, घुमारवीं, चुवाड़ी, बंजार, चौपाल, नेरवा, रोहड़ू, ठियोग, आनी, शाहपुर, चिड़गांव और अम्ब में कूड़ा निस्तारण संयंत्र स्थापित करने अथवा डंप करने के लिए चयनित स्थानों से जुड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार की ओर से विशेष हिदायत पेश करने के आदेश भी दिए थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह भी बताया गया कि पालमपुर में 5 टन प्रतिदिन बायोमिथेनेशन संयंत्र स्थापित करने की योजना है। कोर्ट ने पालमपुर नगर निगम से इस संयंत्र से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे। मामले पर सुनवाई 11 नवम्बर को निर्धारित की गई है।