मैक्लोडगंज में एक साल से खाली पड़ी बांस की झोपड़ियां सड़ने लगीं

धर्मशाला: पर्यटन नगरी धर्मशाला-मैक्लोडगंज में धौलाधार की घाटियों में महज कंक्रीट का जंगल बनाने की बजाय वन विभाग ने प्राकृतिक बांस के घर बनाने का काम शुरू कर दिया है। पर्यटकों को मैक्लोडगंज के जंगलों के बीच प्राकृतिक बांस के घर में रहने की सुविधा मिलनी थी, लेकिन आश्चर्य की बात है कि बांस के घर पर आधा करोड़ खर्च करने के बावजूद अब यह योजना अधर में लटक गई है, जिसके कारण पर्यटक सुविधा मिलने से कोसों दूर हैं। सरकारी विभागों के लाखों रुपये अब कबाड़ होने की कगार पर हैं। बम्बू हाउस की बांस की लकड़ी उपयोग में न आने और ताले लटके रहने के कारण अब सड़ने के कगार पर पहुंच गई है, जिससे राज्य की पर्यटन राजधानी बनाने की सरकार की घोषणाओं पर बड़े सवाल उठने लगे हैं। केंद्र सरकार देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत बांस उत्पादन के उद्देश्य से कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने का दावा कर रही है। वहीं, सरकारी विभागों की धीमी गति और रवैये के कारण लोगों को पर्यटन स्थल धर्मशाला आने के लिए प्रोत्साहित करने की पहल भी परवान नहीं चढ़ पा रही है. ऐसे में काला पुल में लाखों रुपये के बजट से बनी बांस की झोपड़ी लक्ष्य से भटकती नजर आ रही है। इसलिए एक साल पहले झोपड़ियां बनाई गईं, लेकिन बाद में बजट को लेकर ठेकेदार और विभाग के बीच खींचतान हो गई।
