महिला पर अदालत ने लगाया 1 लाख का जुर्माना, बेटी से रेप करने का आरोप निकला झूठा

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने एक महिला को झूठी शिकायत दर्ज कराने का दोषी ठहराते हुए 1 लाख रुपये जुर्माना भरने का निर्देश दिया है. प्रॉपर्टी विवाद में अपने विरोधी को फंसाने के लिए महिला ने उसके खिलाफ अपनी 5 साल की बेटी से रेप करने का आरोप लगाया था और पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने लड़की की मां के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया, जिस पर झूठी गवाही देने का आरोप था.

न्यायाधीश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उसने गुस्से में आकर और खुद को रोज-रोज के झगड़ों से बचाने के लिए झूठी शिकायत की है. अदालत ने कहा कि महिला ने कुछ लोगों पर अपनी बेटी के खिलाफ अपराध का आरोप लगाते हुए झूठी शिकायत दर्ज की थी, जिस पर POCSO अधिनियम की धारा 5 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसमें कहा गया है कि यह झूठी सूचना आरोपी से ‘संपत्ति हड़पने’ के लिए दी गई थी.

अदालत ने 17 नवंबर के एक आदेश में कहा, ‘महिला को संपत्ति विवाद के निपटारे के लिए झूठी शिकायत पर यह झूठा मामला दर्ज करवाने और POCSO अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए पाया गया है, जिससे आरोपी व्यक्तियों को अपमान और बदनामी का सामना करना पड़ा. उसने आपराधिक न्याय प्रणाली का भी दुरुपयोग करने की कोशिश की.’

कोर्ट ने टिप्पणी की कि महिला जैसे लोग भूमि विवाद, विवाह विवाद, व्यक्तिगत द्वेष, राजनीतिक उद्देश्यों या व्यक्तिगत लाभ के लिए आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रखकर अपमानित करने के लिए POCSO अधिनियम के तहत ‘अक्सर’ फर्जी मामले दर्ज करवा रहे हैं. अदालत ने कहा, ‘यह कानून का घोर दुरुपयोग है और इस तरह के कृत्य कानून के उद्देश्य को कमजोर करते हैं.’

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने कहा, ‘अदालतों को इस बढ़ते खतरे के खिलाफ सतर्क रुख अपनाना होगा और पीड़ित या कथित अपराधी के कारण न्याय को खतरे में डाले बिना झूठे आरोपों की संभावना को खत्म करने की कोशिश करनी होगी.’ अदालत ने कहा, ‘यह देखा गया है कि अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सबसे कड़े कानूनों का दुरुपयोग हमारी कानूनी प्रणाली में एक स्पष्ट समस्या रही है. POCSO अधिनियम भी कोई अपवाद नहीं है. पॉक्सो अधिनियम की धारा 22 (झूठी शिकायत या गलत जानकारी के लिए सजा) यह सुनिश्चित करती है कि कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाए.’

न्यायाधीश डागर ने अपने फैसले में कहा, ‘मौजूदा मामले में, शिकायतकर्ता को अपने कथित संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए उपलब्ध वैकल्पिक उपायों के बजाय POCSO अधिनियम का दुरुपयोग करते हुए पाया गया है. महिला ने कानून और कानून की क्रियान्वयन एजेंसी के अधिकार को गुमराह किया और उसका दुरुपयोग किया. इसलिए शिकायतकर्ता पर POCSO अधिनियम की धारा 22 के तहत एक महीने के भीतर किए गए अपराध के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है और जुर्माने के भुगतान में चूक के मामले में, उसे तीन महीने की साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी.’


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