राज्य में पेंशन और वेतन का भुगतान तक समय पर नहीं किया जाता, भड़के राज्यपाल ने सरकार को सुना दिया

तिरुवनंतपुरम: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ केरल की सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। वहीं तमिलनाडु और पंजाब के राज्यपालों के मामले में भी राज्य की सककारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है जिसपर एक दिन पहले ही कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की। कोर्ट ने राज्यपालों से कहा कि उन्हें आग से नहीं खेलना चाहिए और बिलों को लटकाना ठीक नहीं है। केरल सरकार के भी यही आरोप हैं। केरल की पिनारायी सरकार का कहना है कि राज्यपाल विधेयकों को अटका रहे हैं और राज्य में राजनीतिक संकट पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपना रुख साफ करते हुए कह दिया कि वह संविधान के अनुसार काम कर रहे हैं और उनकी वजह से अगर राजनीतिक संकट पैदा हो रहा है तो इसका सबूत पेश करना चाहिए।

उन्होंने कहा, मैंने संविधान की सीमा कभी नहीं लांघी है। मोहम्मद खान ने कहा, राज्य सरकार अकसर अपनी सीमाएं लांघ जाती हैं। राज्यपाल ने कहा, केवल बयान देने से कोई संकट नहीं पैदा हो जाता। राजनीतिक संकट का मतलब है संविधान के दायरे से बाहर जाना। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी सीमाएं लांघती है। राज्य में पेंशन और वेतन का भुगतान तक समय पर नहीं किया जाता है। दूसरी तरफ केरलीयम कार्यक्रम में करोड़ों रुपये लगाए जाते हैं। 10 लाख रुपये का स्विमिंग पूल बनवाया जाता है।
बता दें कि केरल सरकार का कहना है कि राज्यपाल कुछ जरूरी विधेयकों पर साइन नहीं कर रहे हैं। विजयन ने कहा था कि राज्यपाल संविधान के अनुसार काम करने के लिए बाध्य हैं। वहीं राज्यपाल का कहना है कि धन विधेयक बिना राज्यपाल की मंजूरी के भी विधानसभा द्वारा पारित किए जा सकते हैं। ऐसे में उनपर बिल को लटकाने के आरोप निराधार हैं। राज्यपाल का कहना है कि सरकार कुलपतियों की नियुक्ति की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों को देना चाहती है लेकिन इन्हें बजट राज्य और केंद्र सरकार से मिलता है। वहीं धन विधेयक के बारे में फैसला स्पीकर करते हैं।
केरल सरकार पहले राज्यपाल के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची थी। सरकार कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 200 के मुताबिक राज्यपाल को बिलों को मंजूरी देनी होती है। अगर राज्यपाल बिल को मंजूरी नहीं देते तो यह जनप्रतिनिधियों के साथ राज्य की जनता के साथ भी अन्याय है।