बिना परमिट प्रदेश के बाहर ले जा सकेंगे 4 प्रजातियों की लकड़ी, सरकार ने हटाई रोक

शिमला। प्रदेश में सफेदा, पॉपुलर व बांस की लकड़ी व कुठ को प्रदेश से बाहर ले जाने पर लगी रोक को राज्य सरकार ने हटा दिया है। ऐसे में प्रदेश के लोग इन पेड़ों की लकड़ियों यानी बालन को बिना किसी अनुमति से प्रदेश से बाहर ले जा सकेंगे। प्रदेश के लोग विशेषकर निचले क्षेत्र के लोग इसकी लंबे समय से मांग कर रहे थे। नए आदेशों के अनुसार इन 4 प्रजातियों की लकड़ी व औषधीय पौधों को लोग बिना परमिट के प्रदेश के बाहर ले जा सकेंगे। इसके अलावा इन प्रजाति की लकड़ी की ढुलाई को राज्य के भीतर बिना अनुमति से करने की भी अनुमति दी गई है।

इसके अलावा प्रदेश सरकार ने खैर की लकड़ी, कत्था व देवदार के तेल सहित प्रदेश में उगने वाली अन्य जड़ी-बूटियों को प्रदेश से बाहर ले जाने पर लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया है। हालांकि इन वन उत्पादों को प्रदेश से बाहर ले जाने के लिए वन विभाग से परमिट लेना होगा। राज्य में बहुत से किसान इन प्रजाति के पेड़ों को व्यावसायिक स्तर पर उगाते हैं, ऐसे में उनके हितों को देखते हुए राज्य सरकार ने इन 4 प्रजातियों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लिया है। वहीं सरकार के इस निर्णय के लिए किसान कांग्रेस हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश पठानिया ने प्रदेश सरकार का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के किसानों को लाभ होगा।
प्रदेश के विशेषकर निचले हिमाचल के किसान सरकार से लगातार निजी भूमि पर लगाए गए सफेदा, पॉपुलर, बांस, कुठ व अन्य बालन की लकड़ी को बेचने के लिए बाहर ले जाने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। इसके पीछे उनका तर्क था कि हिमाचल में इन प्रजातियों के पौधों की लकड़ी की मांग नहीं है, जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब व अन्य राज्यों में इनकी अधिक मांग है तथा वहां पर उन्हें इसके अच्छे दाम भी मिलते हैं। प्रदेश में जहां बालन 100 रुपए प्रति क्विंटल से भी कम दाम में बिक रहा है जबकि पड़ोसी राज्यों में इसके दाम 300 रुपए प्रति क्विंटल से भी अधिक हैं, ऐसे में प्रदेश के लोगों की सुविधा को देखते हुए सरकार ने इस पर लगी रोक को हटा दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार वन विभाग से विभिन्न प्रकार के ई-परमिट प्राप्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश में नैशनल ट्रांजिट पास सिस्टम शुरू करने जा रही है। यह सिस्टम शुरू करने वाला हिमाचल प्रदेश देश का छठा राज्य होगा, जिसके शुरू होने से जहां लोगों को ई-परमिट प्राप्त करने में सुविधा होगी, वहीं विभाग के कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता आएगी।