तीन दशक पहले नूंह में दंगा हुआ था.

विश्व हिंदू परिषद, मातृ शक्ति दुर्गा वाहिनी और बजरंग दल द्वारा सोमवार को निकाली गई ब्रजमंडल 84 कोस शोभा यात्रा के दौरान पथराव और फायरिंग से दो होम गार्ड जवानों की मौत हो गई जबकि कई पुलिसकर्मी और तकरीबन 24 लोग जख्मी हो गए। यात्रा में शामिल लोगों के साथ ही पुलिसकर्मियों पर भी पथराव किया गया।

इस बीच दंगाइयों ने आगजनी कर दी। कई वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। सांप्रदायिक तनाव के बाद पूरे जिले में धारा-144 लगाकर इंटरनेट सेवा को बुधवार तक बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही जिले की सीमाएं भी सील कर दी गई हैं।
लोगों ने घरों की खिड़कियां तक कीं बंद
सोमवार को दोपहर में नूंह में भड़की हिंसा के बाद पांच घंटे तक शहर में उपद्रवियों का तांडव रहा। इस दौरान मंजर इतना खौफनाक था कि शहर के लोगों ने बाजार और अपने घर के दरवाजे बंद कर लिए। इस दौरान घरों में फंसे लोग बार-बार पुलिस प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश में जुटे रहे लेकिन कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था।
सीमित संख्या में पुलिस कर्मी हजारों उपद्रवियों को काबू करने में नाकाम रहे। इस बीच शहर के कुछ लोगों ने उच्चाधिकारियों से किसी तरह संपर्क किया। करीब तीन बजे के आसपास आला पुलिस अधिकारियों का संपर्क शहर के लोगों से हुआ। इसके दो घंटे बाद आसपास के जिलों से पुलिस फोर्स का पहुंचना शुरू हुआ, तब तक उपद्रवी शहर में काफी दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर चुके थे।
उपद्रवियों की भीड़ के सामने चंद पुलिस कर्मी बेबस नजर आए
नूंह में सोमवार को हुए उपद्रव की जमीन एक दिन पहले ही तैयार हो गई थी। जुनैद-नासिर हत्याकांड में आरोपी रहे मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर बयान जारी किया था। यही बयान शहर की शांति के लिए बवाल बन गया। यही कारण रहा कि उपद्रवियों की भीड़ के सामने चंद पुलिस कर्मी बेबस नजर आए। शाम को जब आसपास के जिलों से पुलिस बल नूंह पहुंचा, तब जाकर स्थिति नियंत्रण में आ सकी।
एक दिन पहले रविवार को दोहरे हत्याकांड के आरोपी मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए कहा था कि वह इस यात्रा में शामिल होगा। साथ ही इस यात्रा में ज्यादा से ज्यादा लोगों के पहुंचने की अपील की थी।
इस बयान की प्रतिक्रिया में दूसरे समुदाय के लोगों ने इसका विरोध जताया और मोनू मानेसर को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। इससे पहले फिरोजपुर झिरका के विधायक मामन खां इंजीनियर भी विधानसभा में मोनू मानेसर को प्याज की तरह फोड़ने का बयान दे चुके थे।
तीन दशक तक शांत रहा नूंह, 31 साल पहले हुआ था दंगा
1991 में अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के समय नूंह में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। उसके बाद तीन दशक तक नूंह में पूरी तरह से शांति रही। पिछले वर्ष कुछ संगठनों ने शोभायात्रा के दौरान एक धार्मिक स्थान को क्षतिग्रस्त किया था लेकिन उस वक्त अमन कमेटी की अपील पर कोई अवांछनीय घटना नहीं हुई और शांति बनी रही। क्षतिग्रस्त निर्माण की मरम्मत करा दी गई थी। सोमवार को हुए बवाल ने तीन दशक की शांति को पलीता लगाया है।
सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने पर होगी कार्रवाई : उपायुक्त
नूंह जिले में हुए सांप्रदायिक तनाव को देखते हुए जिला उपायुक्त निशांत कुमार ने लोगों को सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसी पोस्ट करने के लिए मना किया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसी पोस्ट करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखी हुई है।
इसी के साथ ही लोगों से आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की जा रही है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि समाज में आपसी भाईचारा बनाकर रखें और किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। सोशल मीडिया का प्रयोग सहयोग, आपसी भाईचारे व सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए ही करें।
उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि यदि आपके आसपास कोई भी असामाजिक तत्व संदिग्ध व्यक्ति या वाहन दिखाई दे या किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत संबंधित थाना या डायल 112 पर इसकी सूचना दें। सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा।
गुरुग्राम में धारा-144 लागू
नूंह में सांप्रदायिक तनाव के मद्देनजर गुरुग्राम के जिलाधीश एवं डीसी निशांत कुमार यादव ने जिले में कानून का पालन कराए जाने एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा-144 लागू की है। इस विषय में सोमवार शाम जिलाधीश की ओर से निर्देश जारी किए गए।
जिलाधीश द्वारा जारी आदेशों में जिले में किसी भी सड़क मार्ग को अवरुद्ध करने व सार्वजनिक स्थान पर पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने, किसी भी प्रकार के लाइसेंसी हथियार या फायर आर्म्स, तलवार, गंडासा, लाठी, बरछा, कुल्हाड़ी, जेली, चाकू व अन्य हथियार लेकर चलने पर पाबंदी लगाई गई है। आदेशों की अवहेलना करने वालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत कार्रवाई की जाएगी।