सुप्रीम कोर्ट ने चंदा कोचर की समयपूर्व सेवानिवृत्ति लाभ की मांग वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित की

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर की समयपूर्व सेवानिवृत्ति लाभों की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। बैंक के निदेशक मंडल ने उनके सेवानिवृत्ति लाभ रोक दिये थे। जस्टिस संजीव खन्ना और पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने स्थगन की मांग करने वाले एक पक्ष के अनुरोध पर मामले को दो सप्ताह बाद फिर से सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

इससे पहले मई में बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति के.आर. श्रीराम और राजेश पाटिल की पीठ ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। एकल न्यायाधीश पीठ ने कोचर के समयपूर्व सेवानिवृत्ति लाभों और अन्य अधिकारों की मांग करने वाले मुकदमे में अंतरिम राहत के लिए कोचर के आवेदन को खारिज कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि अंतरिम राहत दी जाती है, तो वह मूल रूप से मुकदमे पर फैसला सुनाना होगा। नवंबर 2022 में, एकल न्यायाधीश ने कोचर को निर्देश दिया था कि वह अक्टूबर 2018 से जनवरी 2019 के दौरान इस्तेमाल किये गये 6,90,000 ईएसओपी में से किसी को भी नहीं बेचेंगी और यदि उन्होंने ऐसे किसी शेयर को बेचा है तो अपने लाभ का खुलासा करें।
कोचर 1984 में एक प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में आईसीआईसीआई बैंक से जुड़ी थीं। समय के साथ तरक्की करते हुये 2009 में वह बैंक की एमडी और सीईओ बन गईं। आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले के संबंध में एक व्हिसलब्लोअर का पत्र सामने आने के बाद कोचर ने समयपूर्व सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया, जिसे आईसीआईसीआई बोर्ड ने अक्टूबर 2018 में स्वीकार कर लिया।
हालाँकि, बोर्ड ने कहा कि समयपूर्व सेवानिवृत्ति योजना के तहत निर्धारित ईएसओपी जांच के निष्कर्ष और आरबीआई की मंजूरी के बाद ही दिए जाएंगे। सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी.एन. श्रीकृष्णा द्वारा की गई जांच के बाद निदेशक मंडल ने कोचर की सेवानिवृत्ति को “बर्खास्तगी” के रूप में मानने का निर्णय लिया और उनके सभी मौजूदा और भविष्य के अधिकारों जैसे किसी भी अवैतनिक राशि, अवैतनिक बोनस या वेतन वृद्धि आदि को रद्द करने का निर्णय लिया।