अनोखा संगम, जेल और पुलिस थाना परिसर बने राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य

प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ मनुष्य की भौतिकवादी एवं विस्तारवादी इच्छाओं के कारण वन क्षेत्र की सीमाएँ कम होती जा रही हैं, प्राणियों के प्राकृतिक आवास के साथ छेड़छाड़ बढ़ती जा रही है। इसके विपरीत शहर के जीरो माइल चौराहा स्थित थाना परिसर व जेल परिसर की आबोहवा कई जीव-जंतुओं के लिए सुरक्षित आवास बन गयी है. वहाँ विशाल वृक्ष, बरसाती नाले और सुरक्षित मैदान हैं। जो मोर समेत कई जीवों के लिए खुले में विचरण करने के लिए बेहद सुरक्षित जगह है। इसके साथ ही यहां के कर्मचारी और यहां रहने वाले परिवार भी जीवदया के प्रति काफी संवेदनशील हैं। इसका परिणाम यह है कि यहां प्रतिदिन पक्षियों के लिए दाना-पानी की नियमित व्यवस्था हो रही है। इसके लिए यहां घूमने वाले मोर उनके परिवार का हिस्सा बन गए हैं। जो आवासीय क्वार्टरों में दरवाजे पर आकर भोजन उपलब्ध कराते हैं। वहीं सुबह और शाम को नियत समय और नियत स्थान पर अनाज डाला जाता है. जो महिलाओं और बच्चों की आवाज पर ही यहां आते हैं। कभी-कभी वे उनके बहुत करीब चले जाते हैं। थाना व जेल परिसर में पाए जाने वाले दो दर्जन से अधिक राष्ट्रीय पक्षी मोर की पीहू-पीहू की मधुर ध्वनि सुबह से शाम तक सुनाई देती है।
वहीं, मोर के साथ-साथ अन्य पक्षी, गिलहरी आदि भी दिन भर विचरण करते रहते हैं। ऐसे में नकारात्मकता के बीच प्रकृति से निकटता का एहसास होता है। दिन भर पक्षियों की चहचहाहट प्रकृति का अहसास कराती है। जेल व थाना परिसर के पीछे बरसाती नाला है. जो मोर के साथ-साथ कई प्राणियों का आश्रय स्थल भी है। ऐसे में यहां रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि इस नाले का संरक्षण किया जाना चाहिए. यहां कोई अतिक्रमण, निर्माण आदि नहीं होना चाहिए। ताकि यहां पाई जाने वाली जैव विविधता का संरक्षण किया जा सके। जैव विविधता को देखते हुए आने वाले समय में इसका संरक्षण बहुत जरूरी है। ऐसे में जिला प्रशासन और वन विभाग से यहां के प्राकृतिक स्थलों को बचाने की उम्मीद है. यहां के निवासियों ने इस स्थल के संरक्षण की मांग की है. जिसमें पूरे परिसर व नाले की भूमि को गोद लिया जाए। ताकि आने वाले दिनों में भी इसकी सुरक्षा की जा सके. यदि संरक्षण हो तो इस नाला परिसर में अतिक्रमण नहीं होगा। इस संबंध में सहायक वन संरक्षक दारासिंह राणावत का कहना है कि नाले को सुरक्षित करने के लिए यहां दीवार बनाई जा सकती है। इसके साथ ही जैव विविधता की रक्षा के भी प्रयास किये जायेंगे। इन प्रजाति के प्राणियों का आश्रय स्थल यहां का जेल और थाना परिसर कई प्राणियों का आश्रय स्थल है। इसमें मुख्य रूप से मोर है। इसके अलावा गिलहरी, कबूतर, कौवे, गौरैया, हार्नबिल के प्रवास स्थल भी हैं।


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