चरणदास महंत क्या सक्ती के सत्ता विरोधी लहर को तोड़ पाएंगे?

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष और सक्ती विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार चरणदास महंत के सामने विधानसभा चुनाव में मिथक को तोड़ने की चुनौती है। राज्य के गठन के बाद हुए चार चुनाव में यहां की जनता ने अपने वोट से हर पांच साल में अपना नेतृत्व करने वाले दल को बदला है। राज्य की सक्ती विधानसभा सीट से कांग्रेस ने एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष महंत को मैदान में उतारा है और यहां उनका मुकाबला भाजपा के खिलावन साहू से है।

महंत की गिनती यहां के प्रमुख कांग्रेसी नेताओं में होती है। वे अपने राजनीतिक जीवन में अब तक तीन बार लोकसभा के सांसद और चार बार विधायक रहे हैं। विधायक के तौर पर उनका यह पांचवा चुनाव है और छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद दूसरा विधानसभा चुनाव है। राज्य के गठन के बाद चार विधानसभा चुनाव हुए और इन सभी चुनाव में जनता ने बदलाव का सिलसिला जारी रखा। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में भाजपा के मेधाराम साहू जीते और जब 2008 में चुनाव हुआ तो कांग्रेस के सरोज मनहरण राठौर ने जीत दर्ज की। इसी तरह वर्ष 2013 के चुनाव में फिर बदलाव हुआ और भाजपा के खिलावन साहू जीत दर्ज करने में सफल हुए। जब वर्ष 2018 के चुनाव आए तो उसमें भी यहां की जनता ने बदलाव कर दिया और अपना नेतृत्व चरण दास महंत को सौंप दिया।
अब फिर चुनाव है, इसीलिए सवाल उठ रहा है क्या चरणदास महंत इस विधानसभा क्षेत्र को लेकर बन चुके मिथक को तोड़ पाने में सफल होंगे क्या? राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि सक्ती विधानसभा क्षेत्र में चरणदास महंत के लिए पार्टी के भीतर ही कुछ नेताओं की नाराजगी बड़ी चुनौती बन रही है। अगर यह नाराजगी बनी रहती है तो जीत की राह महंत के लिए कठिन हो जाएगी और अगर वह अपनों को मनाने में कामयाब होते हैं तो जीत का रास्ता आसान रहेगा।