देवउठनी एकादशी के बाद से शादी के है 44 शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी : कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल देवउठनी 23 नवंबर को मनाई जाएगी। देवउठनी एकादशी से शादी का सीजन शुरू हो जाता है। इस साल शादी के सिर्फ 44 मुहूर्त हैं। नवंबर महीने सिर्फ तीन दिन ही शादी के लिए शुभ हैं। इसके बाद बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने से मई माह में विवाह के लिए अनुकूल समय नहीं मिलेगा। इस वर्ष केवल 44 शुभ मुहूर्त हैं। जबकि पिछले वर्ष लग्नसर में 63 शुभ मुहूर्त थे।

नए साल में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त की बात करें तो नवंबर में 27, 28 और 29 तारीख को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं, इसके बाद दिसंबर में 6, 7, 8, 14 और 15 तारीख को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं। यानी कामुर्ता शुरू होने से पहले शादी के सिर्फ आठ शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक यौवन शुरू हो जाएगा।जनवरी माह में युवावस्था पूर्ण होने पर 21, 22, 27, 28, 30 एवं 31 तारीख को विवाह हो सकता है। इस साल फरवरी महीने में सबसे ज्यादा शादियां होंगी। 2, 4, 6, 12, 17, 18, 19, 24, 26, 27, 28 और 29 तारीखें विवाह के लिए शुभ दिन हैं, तो वहीं मार्च महीने में 2, 3, 4, 6, 11 और 13 तारीखें शुभ हैं। . इसके बाद 14 मार्च से 13 अप्रैल तक मिनाराक रहेगा, जिसके कारण विवाह नहीं हो सकेंगे। इसके अलावा 17 से 24 मार्च तक होलाष्टक के कारण विवाह पर रोक रहेगी।
अप्रैल माह में विवाह के लिए केवल चार मुहूर्त हैं जिनमें 18, 21, 26 और 28 तारीख विवाह के लिए शुभ हैं। इसके बाद शुक्र ग्रह अस्त हो जाएगा जिसके कारण 1 मई से 28 जून तक लग्न का एक भी मुहूर्त नहीं है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र और बृहस्पति के अस्त होने पर विवाह नहीं हो पाता है। दो माह में शुक्र अस्त होने के कारण कोई लग्न मुहूर्त नहीं है, जबकि जून माह में 29 और 30 तारीख को विवाह हो सकते हैं।इस साल 17 जुलाई को देव शयनी एकादशी मनाए जाने से पहले शादी की शुभ तारीखें 9, 11, 12, 13, 14 और 15 जुलाई हैं। उसके बाद 17 जुलाई को भगवान पोढ़ी का जन्म होगा और उसके बाद वसंत पंचमी से विवाह शुरू होंगे। इस प्रकार पिछले वर्ष विवाह के लिए 63 शुभ मुहूर्त थे जबकि इस वर्ष विवाह के लिए केवल 44 शुभ मुहूर्त हैं जिनमें विवाह के लिए सबसे अधिक 12 मुहूर्त फरवरी माह में होंगे। जबकि ग्रीष्म ऋतु में लग्नसार में केवल 14 ही शुभ मुहूर्त आते हैं।