रेप पीड़िता से आरोपी ने रचाई शादी तो हाईकोर्ट ने कह दी बड़ी बात

- हाईकोर्ट ने कहा है कि दोनों के बीच बाद में हुई शादी एफआईआर को रद्द करने का कोई कारण नहीं है और उसके खिलाफ आरोप “गंभीर प्रकृति” के थे.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बंद करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि दोनों के बीच बाद में हुई शादी एफआईआर को रद्द करने का कोई कारण नहीं है और उसके खिलाफ आरोप “गंभीर प्रकृति” के थे।

जस्टिस सुधीर कुमार जैन ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि बलात्कार के अपराध को दोनों पक्षों के बीच सुलह के आधार पर समझौता या रद्द नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा, “एफआईआर में प्रतिवादी नंबर 2 (पीड़िता) ने आरोप लगाया है कि जब वह सिर्फ 16 साल की थी तब याचिकाकर्ता ने कई बार उसके साथ यौन संबंध बनाए, इस वजह से वह गर्भवती भी हो गई थी।”
हाईकोर्ट ने अपने एक हालिया आदेश में कहा है, “पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। केवल इसलिए कि पीड़िता ने बाद में याचिकाकर्ता के साथ शादी कर ली, एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता है। वर्तमान एफआईआर आईपीसी की धारा 376 और POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत दंडनीय अपराधों से संबंधित है जो गंभीर प्रकृति के हैं।“
पीड़िता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसने याचिकाकर्ता के साथ अपने विवाद सुलझा लिए हैं और अपनी मर्जी से उससे शादी की है। सरकारी वकील ने एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली आरोपी की याचिका का विरोध किया और कहा कि अपराध गैर-समझौते योग्य और गंभीर हैं। समझौता योग्य अपराध वे होते हैं जिनमें प्रतिद्वंद्वी पक्ष समझौता कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर कि ऐसे अपराध समाज के खिलाफ हैं और समझौता होने पर इन्हें रद्द नहीं किया जा सकता, अदालत ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने आगे कहा, ”सभी तथ्यों और आरोपों की गंभीरता पर विचार करने के बाद, वर्तमान याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और बाबा हरिदास नगर थानें में आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दर्ज की गई एफआईआर नंबर 0360/2020 को रद्द नहीं किया जा सकता। अदालत ने आदेश दिया, “लंबित आवेदन सहित वर्तमान याचिका खारिज की जाती है।”