रामलाल प्याज नहीं लाया है

मैं अपने ऑफिस में जाकर सीट पर बैठा ही था कि रामलाल आ गया। उसे देखते ही मेरा दिमाग खराब हो गया। उसने आकर विनम्रता से हाथ जोड़े और खड़ा रहा। मैं संयत और शांत स्वर में बोला- ‘भाई रामलाल, तुम्हारी फाइल मैंने हर जगह ढूंढ ली, लेकिन मिल नहीं रही। तुम्हीं बताओ अब कैसे- क्या करें?’ रामलाल बोला -‘ सर, फाइल थी तो आप ही की कस्टडी में, फाइल जायेगी कहां?’ मैंने कहा -‘मैं तुमसे सत्य कह रहा हूं भाई, फाइल गुम हो गई है। देखो किसी गलत सेक्शन में चली गई तो वापस आ जायेगी। तुम थोड़ा धैर्य रखो। तुम जानते हो, मैं एकदम साफ-सुथरा आदमी हूं। मुझे तुमसे कुछ लेना-देना है नहीं। मैं तो खुद चाहता हूं कि तुम्हारा लोन टाइमली पास हो जाये तो तुम्हारा बेकार में वक्त खराब न हो।’ वह बोला-‘सर पांच महीने से चक्कर लगा रहा हूं। मेरी सारी खेती-बाड़ी खराब हो गई है। लोन मिल जाये तो फसलों को पानी मिल जाये।’ तभी मेरे साथ बैठा वर्मा बोला- ‘भाई रामलाल, तुम्हारे खेती-बाड़ी में किसकी पैदावार होती है?’ वह बोला-‘सर, मेरे तो साल भर खाने का गेहूं-बाजरा पैदा होता है।’ वर्मा बोला-‘भाई घर के लिए प्याज तो पैदा करते ही होंगे।

एक बोरी प्याज लाकर दे दो तो फाइल ढूंढने की गारंटी मेरी है।’ रामलाल बोला-‘मेरे घर में कोई प्याज खाता नहीं, इसलिए हम प्याज बोते ही नहीं। यदि प्याज पैदा होता तो मैं वर्मा साहब आपको एक की एवज में दो बोरी प्याज लाकर देता।’ वर्मा बोला -‘भाई देख लो, कैसे भी करो प्याज लाकर दे दो तो फाइल मैं ढूंढूंगा और एक सप्ताह में लोन का चैक भी तुम्हें मिल जायेगा।’ मुझे वर्मा पर बड़ा गुस्सा आया कि वह कैसी बातें कर रहा है। अपने साथ-साथ मुझे भी बदनाम कर रहा है। मैं बोला-‘सुनो वर्मा, रामलाल को परेशान करने की जरूरत नहीं है। यदि फाइल तुम्हारी नजर में हो तो लाकर दो। मैं इसका काम निबटा दूं।’ मेरी बात पर वर्मा कुटिलता से हंसने लगा। उल्टा वह मुझसे बोला-‘शर्मा जी, आप क्यों परेशान हैं। मेरी और रामलाल की बात हो रही है। ज्यादा ही ईमानदार बनते हो तो कर दो उसका काम।’ मुझे गुस्सा हा गया, मैं लपककर अपने अफसर के पास गया। सारा किस्सा सुनाया तो वह बोला-‘यार शर्मा, वर्मा ठीक ही तो कह रहा है।
प्याज मंगाओ तो एक बोरी मेरी भी शामिल कर लेना।’ ‘सर, न तो मुझे प्याज की रिश्वत खानी और न मेरे पास फाइल, आप वर्मा से सीधे बात कर लो।’ मैंने कहा तो अफसर बोला-‘तुम जाओ भाई, वर्मा को मेरे पास भेजो। वर्मा काम का आदमी है। तुम्हारे बस की बात है नहीं।’ मैं वापस आ गया और वर्मा से बोला कि जाओ साब बुला रहे हैं। वर्मा खुश हो गया। वह लपककर भागा और लौटकर आया तो रामलाल से बोला-‘रामलाल, शर्मा जी को छोड़ो। अब तुम मुझसे बात करो। प्याज की बोरी एक नहीं दो लाओ। तुम्हारा काम तो और आसान हो गया। साहब भी प्याज में ही सलट रहे हैं।’ रामलाल बोला-‘लेकिन प्याज तो बहुत महंगा है। मैं कहां से लाऊंगा।’ वर्मा बोला-‘मैं तुम्हारी खोई हुई फाइल भी तो लाऊंगा। वैसे ही प्याज ले आओ। अब ज्यादा सिर मत खाओ। इधर प्याज लाओ और उधर अपना चैक ले जाओ।’ रामलाल चला गया। उस दिन के बाद से अभी तक तो लौटकर आया नहीं है। साब वर्मा से रोज पूछते हैं कि प्याज का बोरा कब आयेगा। वर्मा रोज घिस्सा मार देता है। साब का मानना है कि जो मजा महंगा प्याज खाने में है वह सस्ता होने पर किरकिरा हो जायेगा। लेकिन रामलाल प्याज लेकर आया नहीं है और उसका काम अटका पड़ा है।
पूरन सरमा
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal