हजारों पेंशनरों के मेडिकल बिल फंसे

उत्तराखंड | उत्तराखंड में गोल्डन कार्ड योजना को छोड़ने वाले हजारों पेंशनर्स मुश्किल में फंस गए हैं। योजना छोड़ने के बाद उनकी कैशलेस इलाज की सुविधा बंद हो गई जबकि विभाग उनके चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान भी नहीं कर रहे। ऐसे में करीब 11 हजार पेंशनरों को सालभर से बिलों के भुगतान का इंतजार है।

सरकार ने कर्मचारी-पेंशनर्स के लिए राज्य स्वास्थ्य योजना (गोल्डन कार्ड) शुरू की थी। इसके तहत उन्हें सरकारी व चिह्नित निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज मिलना था। लेकिन कई प्राइवेट अस्पतालों द्वारा योजना को गंभीरता से नहीं लेने के कारण करीब 30 हजार पेंशनर्स ने योजना से अलग होने का फैसला कर लिया। अगस्त 2022 से पेंशनर्स योजना से अलग हैं। जिसके बाद से उनके लिए कैशलेस इलाज की सुविधा बंद कर दी गई है। इसके बदले उन्हें चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा दी जानी थी। लेकिन शासन से एक जीओ न हो पाने की वजह से उनके बिल लटक गए हैं।
राजकीय पेंशनर्स परिषद उत्तराखंड के प्रांतीय संगठन मंत्री गणपत बिष्ट ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य योजना छोड़ चुके 11 हजार के करीब पेंशनर्स ने विभिन्न विभागों में अपने इलाज के बिल भुगतान के लिए लगाए थे। साल भर हो गया है लेकिन आज तक भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस वजह से अब पेंशनर्स ने बिल लगाने ही बंद कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि परिषद की ओर से इस संदर्भ में नैनीताल हाईकोर्ट में अपील भी दायर की गई है।
शासनादेश जारी नहीं होने से खड़ी हुई दिक्कत
पेंशनर्स एसपी पेटवाल ने बताया कि सरकार ने जब उन्हें राज्य स्वास्थ्य योजना छोड़ने का विकल्प दिया था तो समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर कहा गया कि योजना को छोड़ने वाले पेंशनर्स को 2006 के शासनादेश के अनुसार इलाज के बदले चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा दी जाएगी। लेकिन प्रतिपूर्ति के लिए लगाए गए बिलों का साल भर से भुगतान नहीं हो पा रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार पेंशनर्स के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति के संबंध में जल्द शासनादेश करे।